धर्म

सब के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू- स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

सब के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू- स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
कवर्धा। सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न, सेवा परायण, स्वस्थ एवं सर्वहितप्रद व्यक्ति एवं समाज की संरचना विश्व स्तर पर राजनीति की परिभाषा क्रियान्वित हो। इसको क्रियान्वित करने पर ही व्यक्ति और समाज का उत्कर्ष हो सकता है। उक्त बातें पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए एक प्रश्न के उत्तर में पुरी शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहीं।
जात पात मिटाने संबंधी एक प्रश्न के उत्तर में गीता का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि “जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः” जाति धर्म कुल धर्म के स्वभाव और प्रभाव को ध्यान में रखकर व्यवहार करना चाहिए । भेद स्वभावसिद्ध है । भेद का सदुपयोग निर्भेद परमात्मा के मनोनिवेश में होना चाहिए।

पुरी पीठाधीश्वर अनंतश्रीविभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग ने हिंदू राष्ट्र अभियान के संबंध में बताया कि आज से सवा तीन वर्ष पूर्व उनके मुख से तीन बार यह निकला हिंदू राष्ट्र हिंदू राष्ट्र हिंदू राष्ट्र । तब से यह अभियान चल पड़ा है। उन्होंने कहा कि मैं उधार दी हुई बात थोड़ी कहता हूं भगवान और सिद्ध ऋषिमुनि जो बात बोलते हैं वही मैं कहता हूं सब के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू थे इस बात को कौन झूठा सिद्ध कर सकता है। दर्शन विज्ञान और व्यवहार पर सामंजस्य साध कर आप जो कहेंगे उसे सुना जाएगा । उन्होंने कहा कि
“तत्व पक्षपातोहिस्वभावोधियाम” अर्थात बुद्धि सत्य का पक्ष लेती है। गुलाम नबी आजाद ने भी यह स्वीकार किया कि उनके पूर्वज सनातनी थे।

क्या वर्तमान लोकतंत्र में त्रुटि है इस प्रश्न का उत्तर देते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य ने महाभारत में मंत्रिमंडल के निर्माण के संबंध में दी गई व्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में चार शिक्षाविद ब्राह्मण 8 क्षत्रिय 21 कृषि गोरक्ष और वाणिज्य को क्रियान्वित करने वाले अर्थशास्त्र मर्मज्ञ वैश्य, तीन शूद्र, जिन पर कुटीर उद्योगों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई तथा एक सूत सांस्कृतिक मंत्री के रूप में होते थे। उन्होंने आगे कहा कि विश्व में 204 देश हैं राजनेताओं का स्तर इतना गिर गया है कि वह देशी विदेशी कंपनियों को ठेका देते हैं वर्तमान में 13 कंपनियां देश का संचालन कर रही हैं इस प्रकार राजनेताओं ने अपनी दुर्बलता का परिचय दिया है।

जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने कहा कि राजनीति का अर्थ दंड नीति अर्थनीति छात्र धर्म भी है। उन्माद पूर्ण शासन तंत्र का नाम राजनीति नहीं है आज सत्ता लोलुपता और अदूरदर्शिता राजनीति का पर्याय बन गई है।

कूटनीति के पांच प्रभेद का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि नमन, मिलन, दमन, अंकन, और अनुगमन यह कूटनीति के पांच प्रभेद होते हैं मोदी जी इन सभी कूटनीतियों में निपुण है इसीलिए राज कर रहे हैं।

श्रीमद् जगतगुरु शंकराचार्य 11:30 बजे यूनियन चौक में हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी पर धर्म अध्यात्म एवं राष्ट्र के संबंध में श्रद्धालुओं की विविध जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे इस समय पादुकापूजन एवं दीक्षा का भी कार्यक्रम होगा तथा सायंकाल 5:00 बजे सरदार पटेल मैदान में उनकी धर्म सभा होगी। आदित्य वाहिनी संस्था के द्वारा श्रोताओं के बैठने की व्यापक व्यवस्था की गई है।

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