छत्तीसगढ़

सूर्यग्रहण के समय मंदिरों के पट रहेंगे बंद!

 

पण्डित देव दत्त दुबे
शङ्कराचार्य जी के परम् कृपापात्र
सहसपुर लोहारा कवर्धा सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-

सूर्यग्रहण के समय मंदिरों के पट रहेंगे बंद! पूजा अर्चना रहता है निषेध, ग्रहण काल में कर सकते हैं मंत्र जाप!

सूर्यग्रहण विशेष-
इस बर्ष का अन्तिम सूर्य ग्रहण 26 दिसम्बर 2019 दिन बृहस्पतिवार को है. हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष माह की अमावस्या तिथि को है. यह ग्रहण प्रातः 8 बजकर17 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 57 मिनट तक रहेगा .इसकी पूर्ण अवधि 2 घन्टा 40 मिनट रहेगी. 12 घन्टे पहले सूतक लग जायेगा .इसलिए मन्दिरों के पट एक दिन पहले ही बंद हो जायेंगे, अर्थात 25 दिसम्बर दिन बुधवार सायं 8 बजे आरती के बाद बंद हो जायेंगे!

इस ग्रहण का असर लगभग सभी राशियों पर होगा! कुंभ,मीन राशि पर इसका असर शुभ फल दायक होगा .अन्य राशियों के लिए संभवतः मिला जुला रहेगा,
तो आइये जानते हैं ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें .

ग्रहण के समय क्या करें

सबसे पहले तो पूजा के बारे मे कुछ भ्रान्तियाँ होती हैं, पूजा करनी चाहिए या नहीं .तो ग्रहण के समय मूर्ति पूजा वर्जित होती है! किसी मन्दिर में या फिर अपने घर के मन्दिर में पूजा नहीं करना चाहिए ! परन्तु कोई मंत्र का जाप करना शुभ फल दायक होता है !

वेद व्यास जी के अनुसार ग्रहण के दिन मन्त्र जाप करने से विशेष लाभ होता है ,इस दिन की पूजा का फल अन्य दिनों की अपेक्षा लाख गुना होता है और ग्रहण के समय पूजा पाठ करने से 10 गुना हो जाता है. इस लिए कोई गुरु मंत्र का जाप करें, सुन्दर काण्ड का पाठ करें ,हवन करें, दान करें आदि . आप अपनी इच्छा अनुसार या सामर्थ्य के अनुसार कुछ भी कर सकते हैं .ग्रहण की समाप्ति पर कपड़ो सहित स्नान करने का विधान है !

ग्रहण काल में पुण्य सलिला गङ्गा ,गोमती ,नर्मदा आदि पुण्यदायी नदियों में स्नान का है विशेष महत्व, ग्रहण के शुरू मध्य और अंत में स्नान का है विशेष महत्व!

ग्रहण काल में क्या न करें

शास्त्रानुसार ग्रहण के समय कभी तुलसी पत्र न तोड़े, किसी भी धार्मिक पौधों को क्षति न पहुंचायें! ग्रहण के समय भोजन न करें! ग्रहण के समय गर्भवती महिलायें बिशेष ध्यान रखें! अपने हाथ से कोई वस्तु न काटें, न ही शयन करें ,
ग्रहण के समय में सोना,खाना,पीना आदि वर्जित माना गया है और गर्भवती महिलाओं को चाकू, कैंची और सुई से कोई काम नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से शिशु को दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।

 

 

 

 

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