छत्तीसगढ़

बाजार-बिचौलियों से निपटने किसानों-महिलाओं ने खोली राइस मिल, इसमें सुगंधित चावल की ही मिलिंग

 

सबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़ रायपुर- धान पैदा कर उसे सिर्फ बेचने तक सीमित छत्तीसगढ़ के किसान अब इसकी खुद ही मिलिंग कर चावल बनाने की इंडस्ट्री में भी दाखिल हो रहे है, ताकि बाजार और बिचौलियों की मुनाफाखोरी खत्म की जा सके। कोटा और लोरमी के तकरीबन सौ किसान समूहों ने मिलकर छोटी और मध्यम राइस मिलें खोली हैं। खास बात ये है कि यहां सिर्फ विष्णुभोग धान की मिलिंग हो रही है, जिसे समूह ही खरीद रहे हैं।

यह चक्र इतना तगड़ा है कि किसान खुशबूदार और महंगा विष्णुभोग धान पैदा कर रहे हैं, उसकी मिलिंग करने के बाद पैकेजिंग से मार्केटिंग तक खुद कर रहे हैं। इसमें एक किलो चावल पर तकरीबन 15 रुपए बच रहे हैं। इससे राइस मिलों के मेंटेनेंस के साथ-साथ लोन के लिए बड़ा फंड भी बन गया है। सबसे महत्वपूर्ण मामला ये है कि लगभग लुप्त हो रही विष्णुभोग जैसी बारीक और सुगंधितधान का उत्पादन भी बढ़ने लगा है। किसानों को इस पहल से जोड़ने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर ने बताया कि किसानों को धान की सही कीमत मिले।

और बिचौलियों को लाभ न हो, इसलिए कुछ साल पहले कोटा, लोरमी व पेंड्रा में किसानों के ही समूह बनाए गए थे। उन्हीं समूहों ने अब छोटी-छोटी राइस मिलें खोल ली हैं। कोटा ब्लॉक में ही तीन जगह ऐसी राइस मिले हैं, जिनमें किसान सीधे ही अपना धान बेच रहे हैं। महिलाअों की समिति इस धान को छांटने और सुखाने के साथ-साथ मिलिंग के बाद पैकेजिंग में लगी है। इस प्रोडक्ट को सही मार्केट व कीमत दिलाने के लिए 2 साल पहले एग्रीकॉन डॉट स्टोर नाम से अॉनलाइन शॉपिंग वेबसाइट बनाई गई थी।

इसके जरिए चावल दिल्ली और मुंबई से लेकर अोड़िशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और असम तक बेचा जा रहा है। इसे बेचने के लिए मंडियों का चक्कर तो खत्म हुअा ही है, मार्केट रेट भी सीधे किसानों को ही मिल रहा है। धान उत्पादन से पैकेजिंग तक होने वाले प्रोसेज में भी उन्हें रोजगार मिल रहा है। पिछले 2-3 साल के दौरान हर साल 25 लाख रुपए का तक का बिजनेस हुअा है, जो बढ़ रहा है।

एक किलो में 15 रुपए मुनाफा
िकसानों की पहल से जुड़े रजनीश अवस्थी और मार्केटिंग के मानस बनर्जी ने बताया कि वे बाजार मूल्य पर खरीदी कर रहे हैं, जैसे विष्णुभोग धान 30 रुपए किलो में खरीदकर मिलिंग के बाद पैकेजिंग कर रहे हैं। 100 किलो धान से 60 किलो चावल मिल रहा है। एक किलो विष्णुभोग चावल की लागत 65-70 रुपए पड़ रही है, जिसे 80-90 रुपए में बेच रहे हैं। खर्च वगैरह काटने के बाद 15 रुपए किलो के अासपास मुनाफा अा रहा है। इसमें 25 फीसदी राशि मिल मेंटेनेंस, 25 फीसदी इमरजेंसी फंड अौर 50 फीसदी बची राशि समूह से जुड़े किसानों में बंट रही है। किसानों के फेडरेशन में जमा पैसों से उन्हें ही खेती-किसानी के लिए 3 फीसदी ब्याज पर लोन दे रहे हैं।

पहचान रही सुगंधित चावल का रकबा 200 से 1000 एकड़ पहुंचा
कृषि वैज्ञानिक ठाकुर बताते हैं कि कोटा-पेंड्रा में चल रहे इन छोटे राइस मिल से जुड़े किसानों से सिर्फ प्रदेश की पहचान रहे सुंगधित धान विष्णु भोग ही खरीदा जा रहा है। अाज कोटा एरिया के 66 किसान समूह जुड़े हैं। हर समूह में करीब 10-10 सदस्य हैं, 700 के करीब किसान हैं। ये किसान ही महिला समूह द्वारा चलाए जा रहे राइस मिल पर धान बेचते हैं। उन्होंने बताया कि 3-4 साल पहले इन एरिया में विष्णु भोग धान की खेती सिर्फ 200 एकड़ में ही का जाती थी अौर यह सिमट रहा था। लेकिन इस राइस मिल व समूह के बनने से अाज इन क्षेत्रों में 1000 एकड़ में विष्णु भोग का पैदावार किया जा रहा है। इस तरह के सुगंधित चावल प्रदेश की पहचान रहे हैं, जिसका उत्पादन दायरा बढ़ता जा रहा है।

कोटा में 3, लोरमी में मिनी मिल
कोटा में बछालीखुर्द, महुअाकांपा और कोटा में चल रही तीन छोटी मिलों की देखरेख कर रहे किसान दिनेश निर्मलकर ने बताया कि महिला समूह ही पूरा काम संभाल रहे हैं। बछालीखुर्द में हर साल 80-100 क्विंटल धान की मिलिंग हो रही है। तीनों मिलों की लागत लगभग ढाई-ढाई लाख रुपए अाई है। लोरमी की मिनी राइस मिल से 80 किसान समूह जुड़े हैं। सभी मिलों में नाबार्ड से भी मदद मिली है। किसान सीजन में ही इनमें धान की मिलिंग करवाते और फिर कहीं भी बेच सकते हैं।

 

 

 

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