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#IBC24MINDSUMMIT: पांच दशक तक कांग्रेस में सक्रिय रहने के बाद सुरेश पचौरी ने क्यों छोड़ दी पार्टी? IBC24 के महामंच से किया खुद किया सनसनीखेज खुलासा

Suresh Pachouri on IBC24 MIND SUMMIT

भोपाल: Suresh Pachouri on IBC24 MIND SUMMIT, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार यानी आज को देश की दिग्गज हस्तियां मध्यप्रदेश के सरोकार से जुड़े विषयों पर अपनी राय जाहिर करने के लिए एक मंच पर आ रही हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद चैनल IBC24 ये मंच मुहैया करा रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। कार्यक्रम के दूसरे सेशन ‘दल बदला.. दिल बदले क्या? में कांग्रेस से भाजपा में आए कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट और वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी ने शिरकत की। दोनों नेताओं ने IBC24 के तीखे सवालों का जवाब दिया।

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Suresh Pachouri on IBC24 MIND SUMMIT पांच दशक तक कांग्रेस के साथ काम करने के बाद अचानक भाजपा में आने के सवाल पर सुरेश पचौरी ने कहा कि राष्ट्रभावना से प्रेरित होकर मैं लोगों की सेवा के लिए राजनीति में आया है। मैंने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की। कांग्रेस जिस राष्ट्रीय भावना के साथ पहले काम करती थी, वह अब नहीं रही। मैंने पाया कि कांग्रेस उससे अलग होती जा रही है। मैंने 14 साल इंतजार किया कि कांग्रेस में कुछ सुधार हो, लेकिन जब धैर्य और संयम खत्म हो गई तो मैंने भाजपा ज्वाइन की। केवल राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा ही कारण नहीं था और भी अनेक कारण थे।

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिन बातों के लिए जानी जाती थी, वह अब उससे हटती गई। कांग्रेस कभी जातिवाद को बढ़ावा देने में भरोषा नहीं करती थी। कांग्रेस समाजवादी समाज की स्थापना और एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र की स्थापना में भरोसा करती थी। पंडित नेहरू या इंदिरा जी के समय कांग्रेस का नारा हुआ करता था कि जात पर ना पात पर मुहर लगाए हाथ पर। संसद में 1990 में मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर जब डिस्कशन हुआ तो लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में राजीव गांधी जी का भाषण बड़ा स्पष्ट था कि यह देश जब जातिवाद की आग में झुलस जाएगा तो उसमें सभी का नुकसान होगा, लेकिन उसके बाद क्या होने लगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन में केवल एक समाज के और संप्रदाय के लोग नहीं थे और जब कांग्रेस ने भी यह फैसला किया था कि या तो दोनों पक्ष तैयार हो जाए या कोर्ट के फैसले पर एकमत हो जाए। तो कोर्ट के फैसले को अमली जामा पहनाने के लिए प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन था। उसमें शामिल होना था, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया।

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