नागरिकता संशोधन कानून संविधान में खंजर भोकने के जैसा
इसके खिलाफ चट्टान की तरह खड़े होने की जरूरत-आर पी शर्मा
भिलाई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान के अध्यक्ष, आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति के संयोजक और वरिष्ठ समाजवादी नेता आरपी शर्मा ने केंद्र सरकार के मौजूदा नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चट्टान की तरह खड़ं होकर सभी वर्गों से विरोध करने की अपील की है।
श्री शर्मा ने कहा है कि यह कानून हमारे देश के पवित्र संविधान में खंजर भोंकने की तरह और संविधान की मूल भावना धारा 14-15 से छेडृछाड़ है। जिससे संविधान निर्माता के आदर्शों को धूमिल किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कानून के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने देश की एकता अखंडता के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यह देश के लोकतंत्र पर 1975 के आपातकाल से भी गहरी चोट है। इसके बाद अब भाजपा और आरएसएस को इमरजेंंसी का नाम तो लेना ही नहीं चाहिए। इस बात से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पहले ही आगाह थे, इसलिए उन्होंने बाजपेयी सरकार के समय संसद में कहा था कि इन्हें भविष्य की चिंता है ना वर्तमान की। तब चंद्रशेखर ने संसद में कहा था कि अगर भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आती है तो देश बांटने के सिवा इनका दूसरा कोई काम नहीं होगा और आज यह बात शत-प्रतिशत सच साबित हो रही है।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल लाकर केंद्र सरकार समुदाय विशेष को भयभीत करना चाहती हैं। जबकि आज बहुसंख्यक वर्ग भी इनकी राजनीति समझ चुका है कि ये लोग हिंदु-मुसलमान कर येन-केन प्रकारेण सत्ता में काबिज रहना चाहते हैं। आज इनके नासमझी भरे कदम के चलते असम नगालैंड और त्रिपुरा सहित समूचा पूर्वोत्तर जल रहा है। इसकी आंच अब दिल्ली तक आ पहुंची है। गृहमंत्री और पूरी सरकार ने देश में भय का वातावरण बना दिया है। आज देश जल रहा है और इसे बुझाने का काम करने हमारे पास कोई भी राष्ट्रव्यापी नेतृत्व नहीं है।
यह मंडल-कमंडल से ज्यादा खतरनाक खेल साबित हो रहा है। शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार के मौजूदा कदम से मुसलमान समुदाय को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि बहुसंख्यक हिंदु नहीं कभी नहीं चाहता कि हमारे मुल्क में कोई ऐसी व्यवस्था बनें जिससे भाईचारा खत्म हो जाए। यह कानून अपने आप में कई पहलुओं से विरोधाभासी है। जब इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को शामिल किया गया तो इसमें श्रीलंका, म्यांमार, तिब्बत और चीन को क्यों छोड़ा गया?
शर्मा ने कहा कि नौजवान, किसान व मजदूर सहित देश के सभी समुदाय के लोग एकजुट होकर इस बिल के विरोध में चट्टान की तरह खड़े रहे नहीं तो आने वाले दिनों में देश विभाजक लोग सामंती ढंग से सत्ता पर काबिज होंगे। जिस तरह राम मंदिर को लेकर एक माहौल बनाया गया अंततोगत्वा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आने के बाद हिंदु-मुस्लिम भाईचारा देखने को मिला इसी प्रकार नागरिक संशोधन बिल को ये भुनाना चाहते हैं जिसके लिए अब किसी को डरने की जरूरत नहीं है। सारे लोग भाईचारे के साथ रहें और ऐसा कोई कदम ना उठाए जो कानून का भय दिखा कर देश को तोडऩे का प्रयास करने वालों को मजबूत करे।