Samvida Karmachari Latest News: सभी संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश, दिवाली से पहले लगा तगड़ा झटका, इस वजह से लिया गया फैसला
नई दिल्लीः Order to Remove All Contractual Employees from Job संविदा कर्मचारी भले ही सरकारी विभागों में नौकरी करते हैं, लेकिन उनकी नौकरी पक्की नहीं रहती है। कब उन्हें नौकरी से निकालने का आदेश हो जाए किसी को पता नहीं रहता है। दिल्ली के महिला बाल विकास विभाग में पदस्थ संविदा कर्मचारियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है। आयोग ने दिवाली से पहले अपने सभी संविदा कर्मचारियों को झटका देते हुए तत्काल प्रभाव से नौकरी से नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। आयोग के सहायक सचिव गौतम मजूमदार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। आयोग के इस फैसले के बाद संविदा कर्मचारियों में आक्रोश है।
Order to Remove All Contractual Employees from Job दरअसल, दिल्ली सरकार के महिला एंव बाल विकास विभाग में बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारी काम कर रहे थे। इनमें से कई कर्मचारी 1990 से कार्यरत थे। बताया गया कि इन सभी की नियुक्ति नियमों के खिलाफ जाकर बिना अनुमति के की गई थी। आयोग के सहायक सचिव गौतम मजूमदार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि आयोग में अब तक कार्य रहे संविदा कर्मचारी भले ही किसी भी समय नियुक्त हुए हो सभी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाता है।
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अप्रैल में भी निकाला गया था
इसी साल दिल्ली महिला आयोग में 29 अप्रैल को संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने से विवाद खड़ा हो गया था। आयोग की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर निशाना साधा था। एक आदेश में कहा गया था कि डीसीडब्ल्यू में 223 पदों का सृजन अवैध है और सभी संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाना चाहिए। इस पर मालीवाल ने कहा कि इस कदम से डीसीडब्ल्यू मुश्किल में पड़ जाएगा। उन्होंने दावा किया तह कि अगर ये संविदा कर्मचारी नहीं होते तो डीसीडब्ल्यू की शाखाएं, जैसे महिला हेल्पलाइन 181 और क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर, पिछले आठ सालों में इतने बड़े पैमाने पर मामलों को नहीं संभाल पातीं। लेकिन इन कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने की क्या वजह थी और इस आदेश से डीसीडब्ल्यू के कितने संविदा कर्मचारी प्रभावित हुए? 29 अप्रैल को महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) ने डीसीडब्ल्यू के संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया। इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंपी गई 2017 की रिपोर्ट के निष्कर्षों का हवाला दिया गया।