Delhi Assembly Election : अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे उनके पुराने साथी डॉक्टर साहब.. कर दिया ऐलान, अन्ना आंदोलन में दोनों ने एकसाथ भरी थी हुंकार
नई दिल्ली। Delhi Assembly Election : बहुत जल्द दिल्ली में विधानसभा होने वाले हैं। जेल से बाहर आने के आद आम आदमी पार्टी प्रमुख और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देकर अतिशी को दिल्ली की कमान सौंपी। जिसके बाद से उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी। अन्ना आंदोलन के बाद केजरीवाल का एक अलग ही राजनीतिक अंदाज देखने को मिला है। जिसके बाद उन पर कई आरोप भी लगे। वहीं अब केजरीवाल के खिलाफ उनका ही दोस्त चुनाव लड़ने जा रहा है।
केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेगा उनका दोस्त
बता दें कि अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी रह चुके डॉ. मुनीश कुमार रायजादा ने अन्ना आंदोलन में अपना योगदान दिया था। लेकिन अब केजरीवाल का सिर दर्द उनका ही दोस्त बनने जा रहा है। डॉ. मुनीश कुमार पेशे से डॉक्टर हैं और अमेरिका से डॉक्टरी छोड़कर दिल्ली की सियासत में दांव आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में मुनीश ने अपनी एक अलग पार्टी बनाने की घोषणा की है जिसका नाम उन्होंने भारतीय लिबरल पार्टी रखा है। डॉ. मुनीश ने केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
नई दिल्ली से विधायक हैं केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल लगातार तीन बार नई दिल्ली से विधायक चुने गए हैं। 2013 में तो केजरीवाल ने नई पार्टी होने के बावजूद तब की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उनके गढ़ में ही शिकस्त दी थी। 2015 में भी उन्होंने शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रही प्रोफेसर किरण वालिया को धूल चटाई, तब दूसरे नंबर पर बीजेपी की नूपुर शर्मा आईं थीं। 2020 में अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के सुनील कुमार यादव को 31 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
इस बार कांग्रेस और बीजेपी की ओर से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव कौन लड़ेगा इस पर दोनों पार्टियों की रणनीति फिलहाल तैयार नहीं है। लेकिन पूर्व सहयोगी मुनीश अपने भ्रष्टाचार विरोधी नैरेटिव से कितना खेल बिगाड़ेंगे इस पर चुनाव के करीब जाकर ही ज्यादा तस्वीर साफ होगी।
कब होंगे दिल्ली में विधानसभा चुनाव?
दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है। दिल्ली में पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं। वहीं, बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि, कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी।