सफलता की कहानी : पशु शेड का निर्माण कर गऊ पालक बने व्यवसाय
सफलता की कहानी : पशु शेड का निर्माण कर गऊ पालक बने व्यवसायग्राम सेन्हाभाठा के श्री इतवारी यादव को मिला महात्मा गांधी नरेगा योजना का लाभपशु शेड से डेयरी व्यवसाय को मिला बढ़ावा, होने लगा 20 से 22 हजार रूपए प्रतिमाह की आमदनीकवर्धा, 12 सितम्बर 2024। दैनिक रोजी मजदूरी से अपना जीवन-यापन करने वाले हितग्राही श्री इतवारी यादव का सपना छोटा सा व्यवसाय करने का था। गौ पालक बनकर इसे आगे बढ़ाना चाह रहे थे लेकिन संसाधनों की कमी आड़े आ रही थी। समस्याओं का समाधान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से होकर निकला। जिसमें पशु शेड का निर्माण करने से व्यवसाय ने गति पकड़ा और आमदनी से जीवन आसान हो चला है। मनरेगा योजना से पशु शेड बन जाने से गौ माता को सभी मौसमों में सुरक्षित रखना अब और आसान हो गया। व्यवसाय को आगे बढ़ाने की यह कहानी है श्री इतवारी यादव पिता श्री टिबलु यादव ग्राम पंचायत सेन्हाभाठा जनपद पंचायत पण्डरिया़ जिला कबीरधाम है। गौ पालक श्री इतवारी यादव के लिए यह काम आसान नही था। गायों को रखने के लिए शेड नहीं होने से अनेकों परेशानियां थी जिसमें प्रमुख रूप से सभी मौसमों में पशुधन को बचाना था। खुले में पशुधन रहने के कारण यहा वहां चले जाना, किचड़ एवं गंदगी के कारण गायों को होने वाली बिमारियां और साथ ही इस पर होने वाला खर्च की परेशानी। क्योंकि व्यवसाय के शुरूआत में आमदनी कम हुआ करती थी लेकिन इसकी देखरेख में ज्यादा पैसे खर्च हो जाते थे। इन सभी समस्याओं का समाधान पशु पालन शेड निर्माण के रूप में स्थायी तौर पर हुआ।
हितग्राही श्री इतवारी यादव को अपने ग्राम सभा में पता चला कि महात्मा गांधी नरेगा योजना की सहायता से उनके पशुधन के लिए पक्का शेड निशुल्क बनाया जा सकता है। फिर क्या था उनकी मांग एवं समस्याओं को देखकर ग्राम पंचायत ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के द्वारा इसका हल निकाला। पंचायत में प्रस्ताव पारित कर पशु शेड निर्माण कार्य 70 हजार रूपए राशि से स्वीत होकर मिल गया। स्वीकृति पश्चात् 15 मार्च 2024 को पशु शेड निर्माण प्रारंभ किया गया। कार्य प्रारंभ होने पर ऐसा लगा जैसे ईंट दर ईंट आगे व्यवसाय में आगे बढ़ने का रास्ता खुल रहा हो। देखते ही देखते लगभग एक माह के अल्प समय में निर्माण कार्य पूरा हो गया। पशु शेड निर्माण में स्वंय हितग्राही को 10 दिवस का रोजगार मिला साथ ही 29 मानव दिवस का रोजगार सृजन करते हुए अन्य परिवारो सहित सभी ग्रामीणों को मजदूरी के रूप में 0.075 लाख रूपए प्राप्त हुए। शेड का महत्व श्री इतवारीं यादव बहुत अच्छे से जानते थे क्योंकि यही वह जगह है जो उनके व्यवसाय को समय के साथ आगे बढ़ाने में प्रमुख योगदान देगा। अब अपनी आजिविका को आगे बढ़ाने का सपना सच होता दिख रहा है। सुविधा एवं साधन विहीन ऐसे हितग्राही जो जीवन में आगे बढ़ने की ललक रखते है उनके लिए सफलताओं का मार्ग भी प्रशस्त होता है। यह उदाहरण हितग्राही इतवारी के रूप में सामने आया। व्यवसाय करने के लिए अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए शासकीय योजनाओं से जुड़कर सफलता के द्वार खुले। लक्ष्य की प्राप्ति तब और सूखद अनुभव में परिलक्षित होता है जब मन चाहा काम पूरा होता है। पक्का एवं हवादार पशु शेड बन जाने से व्यवसाय में दिनो-दिन प्रगति हुई। अब लगभग 20 से 22 हजार रूपए प्रतिमाह का व्यवसाय दुध बेचकर होने लगा है। प्रतिदिन दुध वितरण कम्पनी रायपुर को 22-25 लीटर दुध भेजा जा रहा है। दुध बेचने के साथ-साथ दुध से 3 से 4 किलो का खोवा बनाकर भी बेच रहे है। सारा व्यवसाय अपने घर से संचालित करने की खुशी अलग। अब आमदनी चौगुनी हो रही है। आजीविका के नए साधन बन जाने से परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और समाज में प्रतिष्ठा बढ़ रही है। व्यवसाय से हो रहीं आमदनी परिवार के बहुत काम आ रहा है। जिसमें अपनी छोटी सी 2.50 एकड़ के खेतीहर भूमि में उपयोग कर कृषक कार्य कर रहें जो एक अलग आमदनी का स्त्रोत बन रहा है।हितग्राही के अनुभवहितग्राही श्री इतवारी अपना अनुभव साझा करते हुए बताते है कि पशुशेड बनाने के पूर्व अपने पशुओं को सुरक्षित रखने की चिंता बनी रहती थी। खुले में पशुधन रखने से बरसात के दिनों में उनको पानी से बचाने एवं सर्दी के दिनों में ठण्ड से बचाना एक चुनौति बना रहता था। पक्का शेड बनाने की इच्छा बहुत पहले से थी लेकिन आर्थिक स्थिति के कारण नही हो पा रहा था। रोजगार गारंटी योजना से पशुशेड स्वीकृत होने पर मेरी सभी चिन्ताएं समाप्त हो गया। पशुधन के सुरक्षा की चिन्ता अब नहीं रहती है। पशुधन से होने वाली आमदनी गौसेवा में लगा रहा हूं और साथ ही और अधिक गाय पालने में समर्थ हो गया हूं।