Ekadashi ki aarti : हर एकादशी के दिन आवश्य करें ये पवित्र आरती, विष्णु देव के साथ माता लक्ष्मी जी भी होंगी प्रसन्न, होगी धन की वर्षा, मिलेगा स्वाग में स्थान
Ekadashi ki aarti : एकादशी हर मास में दो बार पड़ती है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है । मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साल में कुल 24 एकादशी आती है। एकादशी के दिन इस आरती को करने से मिलता है स्वर्ग में स्थान, भगवान विष्णु होते हैं प्रसन्न ।
Ekadashi ki aarti: आईये पढ़ते हैं एकादशी की आरती
एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, पाप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।
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अब पढ़ते हैं श्री विष्णु 12 शुभ नाम – vishnu 12 names
1. अच्युत,
2. अनंत,
3. दामोदर,
4. केशव,
5. नारायण,
6. श्रीधर,
7. गोविंद,
8. माधव,
9. हृषिकेश,
10. त्रिविकरम,
11. पद्मानाभ
12. मधुसूदन।