CG Ki Baat: इधर ‘बजट’ का प्रचार… उधर कांग्रेस का प्रहार, क्या Budget को लेकर सियासी बैलेंस बनाए रखने की कोशिश में है BJP…?
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CG Ki Baat: रायपुर। जब से साल 2024-25 वित्तीय सत्र का आम बजट आया है, उस पर राजनीति थम ही नहीं रही। पहले अर्थशास्त्री और वित्त विशेषज्ञ बजट के हाईलाइट्स समझाते थे, उससे होने वाले परिवर्तन समझाते थे, अब केंद्र सरकार ने कैबिनेट मंत्रियों को राज्यों में भेजकर बजट की खूबियां गिनाने की शुरूआत की है। प्रदेश में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने बजट के फायदे गिनाए तो दूसरी बैज ने बजट में छत्तीसगढ़ से छलावे का आरोप लगाया। बैज ने बीजेपी के दसों सांसदों को पत्र लिखा, कहा कि डबल इंजन सरकार से छत्तीसगढ़ का हक मांगे। कुल मिलाकर बजट के मुद्दे पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों अपने-अपने राजनीतिक फायदे के हिसाब से एजेंडा तय कर लिया है ।
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2024 में मोदी 3.0 के पहले बजट के बाद से कांग्रेस समेत पूरा india ब्लॉक आम बजट को भेदभावपूर्ण बताने में जुटा है। जवाब में अब केंद्र सरकार ने भी कैबिनेट मंत्रियों को हर राज्य में बजट की खासियत और देश के भविष्य के लिए इसका महत्व समझाने की ड्यूटी दी है। इसी सिलसिले में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया रायपुर आए और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्रीय बजट को ऐतिहासिक बताया। मांडविया के मुताबिक देश में मोदी सरकार का कालखंड देशविकास का स्वर्णिम काल साबित होगा।
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जाहिर है प्रदेश में विपक्ष को बीजेपी सरकार का ये दावा कतई रास नहीं आया। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ भी विशेष पैकेज का हकदार है। बैज ने छत्तीसगढ़ के सांसदों की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए, उन्हें पत्र लिखकर राज्य का हक मांगने की बात कही, जिस पर सीनियर बीजेपी सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने पलटवार में तंज कसा की बेहतर होता पीसीसी चीफ बीते 5 सालों में अपनी सरकार को ये सुझाव देते।
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CG Ki Baat: कुल मिलाकर बजट आए सप्ताह भर बीत रहा है, जिसे बीजेपी और NDA ऐतिहासिक और स्वर्णिमकाल का बजट बता रहा है। तो दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि, मोदी सराकर ने तीसरे टर्म के पहले बजट में केवल और केवल अपने साझेदारों को खुश करने का काम किया, जिनकी बैसाखी पर उनकी सरकार टिकी है। जबकि, डबल इंजन वाली सरकार के होते हुए भी छत्तीसगढ़ के हाथ सिर्फ छलावा ही लगा। सवाल है अगर सबकुछ दुरूस्त है तो फिर बीजेपी को देशभर में, राज्यों में अपने नेताओं को पहुंचाकर बजट समझाना क्यों पड़ रहा है, सवाल विपक्ष पर भी है क्या सांसदों को चिट्टी के बहाने विपक्ष बजट पर सियासी स्कोप ढूंढ रहा है?