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Bharan Poshan Act in Hindi: घरेलू हिंसा मामले में भरण पोषण का मामला: हाईकोर्ट के इस फैसले से अब लाखों पीड़ित महिलाओं को मिलेगी राहत

Bharan Poshan Act in Hindi: हैदराबाद: भारत में घरेलू हिंसा या तलाक के बाद भरण-पोषण हजारों मामले न्यायालयों में लंबित हैं। समय समय पर ऐसे मसलों पर सुनवाई कर पीड़ितों को रहत प्रदान की जाती हैं। वही आंध्र प्रदेश के हाईकोर्ट ने इसे से जुड़े एक प्रकरण पर अहम टिप्पणी की हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि कोर्ट की इस टिप्पणी से अब पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा।

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दरअसल लाइव लॉ के मुताबिक हाल ही में एक फैसले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के एक मामले में अंतरिम भरण-पोषण के मुद्दे को संबोधित किया, जिसमें आवेदन की तिथि से भरण-पोषण देने के महत्व पर जोर दिया गया।

यह मामला 24 अप्रैल 2019 को शुरू हुआ, जब एक विवाहित महिला और उसके नाबालिग बच्चे ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत भरण-पोषण का दावा करते हुए आवेदन दायर किया। 20 अगस्त 2019 को ट्रायल कोर्ट ने पति को याचिका दायर करने की तिथि से प्रभावी रूप से अपनी पत्नी को 20,000 रुपये और बच्चे को 10,000 रुपये का मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया।

Bharan Poshan Act in Hindi: पति ने इस फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील की। 10 अगस्त 2023 को सेशन जज ने आंशिक रूप से अपील स्वीकार कर ली। भरण-पोषण की मात्रा को बरकरार रखा लेकिन प्रभावी तिथि को संशोधित कर 1 अप्रैल 2022 कर दिया, यह मानते हुए कि अपीलकर्ता COVID-19 महामारी और इसके कारण हुए वित्तीय बोझ के कारण उन वर्षों के लिए भरण-पोषण देने की स्थिति में नहीं है। इस संशोधन से असंतुष्ट पत्नी और बच्चे ने वर्तमान आपराधिक पुनर्विचार मामला दायर किया।

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न्यायालय ने कहा,

“नाबालिग बच्चे और कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के भरण-पोषण से संबंधित सिद्धांत पति पर उन्हें भरण-पोषण करने के लिए कानूनी दायित्व की ओर संकेत करते हैं और जब पत्नी और नाबालिग बच्चे को पति से ऐसे भत्ते नहीं मिल रहे हों तो वे न्यायालय के समक्ष उचित याचिका दायर करके राहत पाने के हकदार हैं। याचिका की तिथि पर उनके भरण-पोषण की आवश्यकता पर न्यायालय को विचार करना चाहिए और जब एक बार यह पाया गया कि पत्नी और बच्चा अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं। पति अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है तथा उसके पास पर्याप्त साधन हैं तो उसने भरण-पोषण देने से इनकार कर दिया या उपेक्षा की, तो याचिका दायर करने की तिथि से भरण-पोषण का भुगतान करने का आदेश देना सामान्य रूप से सही लगता है।”

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