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Big Picture With RKM: क्या बजट में राज्यों से भेदभाव संभव है या सिर्फ विरोध के नाम पर सियासत कर रहा विपक्ष?..देखें ‘बायकॉट पॉलिटिक्स’ के पीछे की बिग पिक्चर

 

Big Picture With RKM: रायपुर: बजट के विरोध में विपक्षी दलों ने आज संसद में सत्तापक्ष की घेराबंदी की। उनका आरोप हैं कि मोदी सरकार ने खुद को बचाने के लिए यह बजट लाया हैं। उनका आरोप हैं कि जिन राज्यों के बूते वह सरकार में है यानी बिहार और आंध्र प्रदेश, उनपर मोदी सरकार की विशेष कृपा देखने को मिली हैं। उन्हें विशेष पैकेजेस दिए गए, बजट में उनका ख़ास ख्याल रखा गया। हालांकि विपक्ष के यह आरोप तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं हो सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र को हर राज्य से टैक्स हासिल होता हैं। हर राज्य केंद्र को राशि देता है। ऐसे में यह केंद्र सरकार की कानूनी मजबूरी भी होती हैं कि वह हर राज्य के साथ उनके अधिकार की राशि का न्यायपूर्ण तरीके वितरण करें। अब हम यह भी विस्तार से समझेंगे कि कैसे केंद्र सरकार राज्यों के साथ इस तरह से पक्षपात नहीं कर सकती।

Did the Modi government discriminate against other states in the budget?

दरअसल राज्यों को कितनी राशि आबंटित करती हैं यह संसद में तय होता हैं। इसका आधार राज्य की जनसंख्या, वहां की भौगोलिक परिस्थितियां, वहां की मूल समस्याएं होती हैं। फिलहाल देश में सबसे ज्यादा कर की वसूली उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से होती हैं इसलिए यह भी तय हैं कि केंद्र को सबसे ज्यादा आय इसी राज्य से होती है ऐसे में यह सरकार की जिम्मेदारी हैं कि सबसे बड़े हिस्से का आबंटन उत्तर प्रदेश के लिए करे।

चुनावी राज्यों की अनदेखी केंद्र के लिए संभव नहीं

अब इस पर विपक्ष का सवाल हो सकता हैं कि यह तो राज्यों का अधिकार हैं कि चूंकि वह अधिक राशि दे रहे हैं तो केंद्र भी उन्हें उसी अनुपात में राशि का आबंटन करें। तो केंद्र के सामने जो सबसे बड़ी मजबूरी हैं वह है विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन की। केंद्र में सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने वाली भाजपा के सामने सबसे पहली जरूरत राज्यों का चुनाव जीतना हैं। हम जानते हैं कि आने वाले दिनों में तीन बड़े राज्यों में चुनाव हैं। इनमें महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड शामिल है। ऐसे में सरकार इन राज्यों की अनदेखी करने की गलती नहीं कर सकती। खासकर बजट में इन चुनावी राज्यों की उपेक्षा केंद्र नहीं कर सकती। आप इसे इस उदाहरण से भी समझ सकते हैं कि केंद्र महाराष्ट्र में एक बंदरगाह परियोजना पर काम कर रही है जिसकी लागत फिलहाल 76 हजार करोड़ रुपये हैं जबकि बिहार को मिले स्पेशल पैकेज की राशि 59 हजार करोड़ रुपये है। ऐसे में यह कहना कि केंद्र ने बिहार-आंध्र के अलावा अन्य राज्यों की उपेक्षा की है यह सही नहीं होगा। इसी तरह पूर्वोत्तर के लिए केंद्र ने पूर्वोदय योजना की शुरुआत की हैं। इसका फायदा झारखण्ड समेत दूसरे नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को भी मिलेगा। तो विपक्ष के राज्यों की अनदेखी का आरोप वयवहारिक रूप से सही नहीं है।

भारत राज्यों का समूह

हम जानते हैं कि भारत राज्यों का समूह हैं। केंद्र की सरकार जिन क्षेत्रों के लिए भी योजनाएं बनाती है, जो भी इन योजनाओं के लाभार्थी होते है वह राज्यों में ही निवास करते हैं। भारत सरकार की योजनाए राज्यों के लिए ही होती हैं। फिर वह विनिर्माण संबंधी योजनाएं हो, अधोसंरचना की हो, युवाओं, महिलाओं, किसान या फिर जनजाति के लिए। ये सभी वर्ग राज्यों में ही निवासरत हैं और उन योजनाओं के अंतिम लाभार्थी भी यही होंगे। लिहाजा इस दृष्टिकोण से भी विपक्ष के भेदभाव वाले आरोपों में दम नहीं है।

आंध्र और बिहार पर सरकार का विपक्ष से सवाल

विपक्ष की आपत्ति बिहार और आंध्र प्रदेश का नाम लेकर इनके लिए राशि प्रावधान करने को लेकर भी है। तो यह सच हैं कि जिन राज्यों के दलों के सहारे आज बीजेपी सत्ता में लौटी हैं। जिन राज्यों के मुखिया केंद्र सरकार के किंगमेकर हैं उनका ख़ास ख्याल रखा जाएँ। यह केंद्र सरकार की आज की सबसे बड़ी मजबूरी हो सकती हैं। लेकिन सत्तादल भी यह आरोप लगा सकता हैं कि यह दोनों राज्य अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक पिछड़े क्यों हैं। क्या वजह रही कि राज्यों के पृथक होने के एक दशक बाद भी आंध्र की अपनी कोई राजधानी नहीं हैं। बिहार विकास की दौड़ में पीछे क्यों हैं।

तो इन तमाम वजहों पर विचार करने से यह साबित होता हैं कि बजट को लेकर विपक्ष का विवाद और विरोध दोनों ही बेवजह हैं। सरकारें राज्यों के बीच भेदभाव करें यह संभव नहीं है। ऐसे में विपक्ष को चाहिए कि सिर्फ विरोध के लिए हो रहे इस विरोध को छोड़कर वह सरकार के साथ कदम से कदम मिलकर आगे बढ़े। देश की बड़ी समस्याओं का निदान कैसे हो इस पर विचार करें और देश को आगे बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करें। क्योंकि विकास और जनकल्याण के लिए जितनी आवश्यकता एक मजबूत सरकार की होती हैं, उतनी ही एक मजबूत विपक्ष की भी।

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