Salary Discrepancy: राज्य में दूर होंगी वेतन विसंगतियां, बदलेगा 36 साल पुराना नियम, आयोग ने सौंपी रिपोर्ट
भोपाल: Salary Discrepancy, एमपी में वेतन विसंगति को लेकर बनाए गए आयोग ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को सौंप दी है। देवड़ा ने कहा कि इसे जल्द ही लागू किया जाएगा। इस आयोग का गठन राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 2020 में किया था। एमपी में वेतन विसंगति लंबे समय से बड़ा मुद्दा रहा है।
वेतन विसंगतियों के दूर होने से राज्य के करीब 5 लाख कर्मचारियों को फायदा हो सकता है। कर्मचारियों को एक साल में 12 हजार से लेकर 60 हजार रुपए तक का फायदा होने का अनुमान है।
एमपी में 36 सालों से चली आ रही वेतन विसंगतियों का हल जल्द हो सकता है। वेतन विसंगतियों की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी ने राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट मिलने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि इस रिपोर्ट का अध्ययन और परीक्षण करने के बाद इसे जल्द लागू किया जाएगा।
52 विभागों में वेतन में विसंगति, Salary discrepancies will be removed in mp
एमपी के 52 विभागों में लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पदस्थ हैं। इनके वेतन में लंबे समय से विसंगतियां बनी हुई हैं। लिपिकों के वेतन में 1984 से विसंगति बनी हुई है।
बता दें कि सिंघल आयोग की रिपोर्ट का पहले वित्त विभाग परीक्षण करेगा, उसके बाद इसे कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा। कैबिनेट बैठक में इसकी स्वीकृति मिलते ही इसे लागू करने की कवायद तेज की जाएगी। इस आयोग की रिपोर्ट को लागू होने में कम से कम एक साल तक का समय लग सकता है।
कौन से कर्मचारी सबसे ज्यादा प्रभावित?
मध्य प्रदेश में स्टेनोग्राफर के योग्यता और भर्ती के लिए एक ही नियम है। लेकिन जो स्टेनोग्राफर मंत्रालय में पदस्थ हो उसे ज्यादा वेतन दिया जाता है। जबकि दूसरी जगह पदस्थ स्टेनोग्राफर को कम वेतन मिलता है। मिली जानकारी के अनुसार, तृतीय श्रेणी के बाबू और चतुर्थ श्रेणी के भृत्य को वेतन विसंगति के कारण सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। प्रदेश में ऐसे कर्मचारियों की संख्या करीब सवा लाख से ज्यादा है।
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