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#SarkarOnIBC24: किसानों को राहत, MSP पर गरमाई सियासत, MP-CG में हंगामा क्यों बरपा? देखिए पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली: Politics heated up on MSP अब बात किसानों को मिले तोहफे और उस पर हो रही सियासत की। 9 जून को शपथ लेने के बाद पीएम मोदी किसान हित में लगातार ऐलान कर रहे हैं। इसी कड़ी में 19 जून को मोदी कैबिनेट की दूसरी बैठक में 14 फसलों की MSP में इजाफा किया। बीजेपी ने फैसले का स्वागत किया, तो कांग्रेस ने इसे नाकाफी बताया। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग दोहराई, तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने धान MSP को लेकर बीजेपी को घेरा।

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Politics heated up on MSP मोदी कैबिनेट की पहली और फिर दूसरी बैठक किसानों के लिए गुड न्यूज़ लेकर आई है। पहली कैबिनेट के बाद 9 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में सीधे 20 हज़ार करोड़ की राशि उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की गई तो दूसरी कैबिनेट बैठक में 14 खरीफ फसलों की मिनिमम सपोर्ट प्राइस बढ़ा दी गई है। जैसे धान की नई एमएसपी 2300 रुपये तय कर दी गई है। यानी पिछली एमएसपी से 117 रुपये ज्यादा है।

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केंद्र सरकार के फैसले का बीजेपी का कहना है कि अन्नदाता का कल्याण मोदी सरकार की पहली गारंटी है। प्रधानमंत्री के इस फैसले से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।

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बीजेपी जहां इस फैसले का तहेदिल से स्वागत कर रही है तो कांग्रेस ने कहा कि केंद्र ने कुछ फसलों की MSP बढ़ाई है। किसानों की मांग आय दोगुनी करने की है। सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे। वहीं किसान नेता MSP कानून लागू करने की मांग फिर दोहराई।

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इधर छत्तीसगढ़ में तो पहले से ही 3100 रुपये है। इसलिए यहां किसी तरह का कोई इजाफा नहीं होगा। कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि एमएसपी बढ़ने से छग सरकार पर बोझ कम पड़ेगा तो वहीं कांग्रेस कह रही है। धान की एमएसपी अब छग में 117 रुपये बढ़ा कर मिलनी चाहिए। यानी 3217 रुपये मिलनी चाहिए

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दरअसल छत्तीसगढ़ में सत्ता और सियासत दोनों धान से ही जुड़े हैं। राजनीतिक दल धान के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाते आए हैं। लिहाजा सूबे में जब कभी धान की चर्चा होती है राजनीति अपने आप शुरू हो जाती है। इस बार भी यही हुआ। धान के MSP में इजाफे राजनीतिक दल अपने-अपने चश्मे से आंक रहे हैं। अब देखना है अब प्रदेश का किसान इस फैसले को कैसे लेता है।

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