भोजन को दवाई की तरह खाएँ। अन्यथा दवाइयां भोजन की तरह हर रोज़ खानी पड़ेंगी – ज्योतिष

*भोजन को दवाई की तरह खाएँ। अन्यथा दवाइयां भोजन की तरह हर रोज़ खानी पड़ेंगी – ज्योतिष।*
बच्चे तो प्रायः नखरे करते ही हैं, बड़े भी उन से कम नहीं हैं। मुझे बहुत से लोग मिलते हैं। प्रसंगवश मैं उनसे कभी कभी पूछ लेता हूं कि कौन-कौन सी सब्जियां खाते हो? बच्चों के उत्तर के अनुसार — बच्चे तो आलू खाएंगे पनीर खाएंगे मटर खाएंगे, ऐसे बस 2/4 सब्जियां ही खाते हैं। अधिकतर हरी सब्जियाँ बच्चे नहीं खाते, खाने में नखरे करते हैं। और 20-22 वर्ष की बड़ी उम्र के लोग भी इन से पीछे नहीं हैं। यदि इन 20-22 वर्ष की बड़ी उम्र वालों से भी आप पूछें, तो ये भी यही कहते हैं, मुझे शलगम पसंद नहीं है। मुझे टिंडे पसंद नहीं हैं। मुझे घीया पसंद नहीं है। मुझे गाजर पसंद नहीं है। आलू तो बच्चे और बड़े सभी को पसंद हैं। सदाबहार सब्जी आलू, सब लोग खुश हो कर खाते हैं।
परंतु वैद्य डॉक्टर लोगों का कहना ऐसा है, कि ईश्वर ने सब प्रकार की सब्जियां सब प्रकार की दालें फल अनाज आदि हमारे शरीर को स्वस्थ दीर्घायु और बलवान बनाने के लिए बनाए हैं। इसलिए हमें प्रतिदिन बदल-बदल कर सभी दालें सब्जियाँ अनाज फल आदि खाने चाहिएँ। यदि हम स्वास्थ्य वर्धक सब प्रकार का भोजन नहीं खाएंगे, और स्वाद के उद्देश्य से, कुछ ही वस्तुएँ खाएंगे, तो वे स्वादिष्ट वस्तुएं हमें रोगी बना देंगी। सब प्रकार के पोषक तत्त्व फलों सब्जियों दालों अनाज आदि में होते हैं। इसलिए हमें बारी-बारी से सब चीजें खानी चाहिएँ। कहीं भी नखरे नहीं करने चाहिएँ। हमारा स्वास्थ्य लंबी उम्र तक अच्छा रहे, जिससे हम आनंदपूर्वक अपना जीवन जी सकें।
जो लोग केवल स्वाद के लिए भोजन खाते हैं, वे बहुत कुछ गलत भोजन खाते हैं। उसके कारण उनके शरीर को पूरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे वे रोगी हो जाते हैं। जैसे कि आजकल पिज्जा बर्गर चाऊमीन भटूरे पाँव भाजी इत्यादि अधिकतर मैदे की बनी चीजें, जिन्हें फास्ट फूड के नाम से कहते हैं, इन्हें बच्चे और बड़े सब लोग बड़े शौक से खाते हैं। परंतु यह फास्ट फूड उनके जीवन की स्पीड को भी, रोगों की तरफ़ फास्ट कर देता है। और वे शीघ्र ही रोगी हो जाते हैं।
अनेक वर्ष पहले की बात है, उदयपुर राजस्थान में मैं एक परिवार में प्रवचन सत्संग आदि के लिए गया। उन्होंने मुझे भोजन भी खिलाया और यह भी बताया, कि उनका 13 वर्ष का बच्चा फास्ट फूड खा – खाकर इतना रोगी हो गया कि, अब उसे भूख भी नहीं लगती और कुछ भी भोजन नहीं पचता। उसके पेट की इतनी ख़राब स्थिति हो गई, सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में।
इसलिये इस बात पर विशेष चिंतन करना चाहिए कि, यह फास्ट फूड खाने में तो अच्छा लगता है, स्वादिष्ट लगता है, परंतु स्वास्थ्य के लिए उतना अच्छा नहीं है। कभी महीने में एक दो बार भले ही स्वाद के लिए आप इस प्रकार का फास्ट फूड खा लें, तो चल सकता है। परंतु बार-बार खाना, अधिक मात्रा में फास्ट फूड खाना अच्छा नहीं है।
अनेक लोग स्वाद के कारण, मात्रा से अधिक भोजन भी खाते रहते हैं। उसका परिणाम यह होता है कि वह भोजन ठीक प्रकार से पचता नहीं, बल्कि शरीर में मेद =( चर्बी या फैट) के रूप में बदल जाता है। शरीर का भार भी बहुत बढ़ जाता है। देखने में शरीर बेडौल भी हो जाता है। अच्छा नहीं दीखता।
इसलिए वैद्य डॉक्टरों की सलाह से सब प्रकार का भोजन दालें सब्ज़ियां अनाज फल आदि खाएं। अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें। आयु को दीर्घ बनाएं। यदि इस प्रकार का आचरण नहीं किया, तो आप रोगी हो जाएंगे। और आगे चलकर इतनी दवाएं खानी पड़ेंगी, कि आपको ऐसा लगेगा कि अब तो यह दवाई ही मेरा भोजन बन गई है। जैसे मैं रोज भोजन खाता हूँ, ऐसे ही दवाइयाँ भी रोज़ ही खानी पड़ती हैं।