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14 साल के वनवास के बाद दुर्ग का शेर बिसे यादव पुनः अपनी दहाड़ का अहसास कराने बनाई अपनी पार्टी

दुर्ग नगर निगम चुनाव में कांग्रेस भाजपा को देंगे चुनौती

दुर्ग। कई सालों से शहरी राजनीति की मुख्यधारा से विलग चल रहे दुर्ग के राजनीतिक गुरूजी बिसे यादव इस बार नए जमाने की नयी दृष्टि, और नयी दृष्टि की नयी पार्टी लेकर सामने आ रहे हैं। पार्टी का प्रतीक चिन्ह जारी करते हुए उन्होंने पूरे विश्व मे एक प्रजातांत्रिक सत्ता के साथ ही समूची दुनिया में एक समान नागरिक संहिता की हिमायत की है। बिसे यादव ने अपनी नई पार्टी का नाम दिया है-ग्लोबल डेमोके्रटिक पार्टी। आगामी शहरी सत्ता के चुनाव में पार्टी दुर्ग शहर के सभी वार्डोँ से अपने प्रत्याशी उतारेगी। इच्छुक प्रत्याशियों से लिखित में आवेदन मांगी गई है।
अविभाजित मध्यप्रदेश के कांग्रेस सरकार में तत्कालिन मुख्यमंत्री व अपराजित योद्धा मोतीलाल वोरा की जब तूती बोला करती थी, जिस समय विपक्ष अपनी अगुवाई के लिए एक-एक नेता का मोहताज था, वैसे समय में दुर्ग में एक बिसे यादव ही थे, जो एंटी कांग्रेसी धूरी के केंद्र बने हुए थे। मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के खिलाफ शिवसेना के बैनर तले चुनाव लड़ कर 21 हजार से अधिक मत प्राप्त कर राजनीतिक प्रेक्षकों की नजर अपनी ओर खिंच ली थी।
उस समय तमाम युवाओं को एकजुट कर दुर्ग को कांगे्रस विरोधी आंदोलन का प्रदेश भर में केंद्र बना दिया था। बड़ी संख्या में नए कार्यकर्ता पार्टी से जुड़े जो कालांतर में भारतीय जनता पार्टी की मजबूत बुनियाद में परिणित हुुए। यही समय था जब छत्तीसगढिय़ा नेता के रूप में स्व. हेमचंद यादव का स्थानीय राजनीति में प्रादुर्भाव हुआ। उसके बाद से लगभग दो दशक तक जिले से लेकर प्रदेश तक भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक केंद्र दुर्ग जिला बना रहा। पर दुर्ग में पार्टी को खड़े करने वाले बिसे यादव अपने पटु शिष्य स्व. हेमचंद यादव के राजनीतिक क्षितिज में उभरने के साथ ही नेपथ्य में जाते गए। अब चूंकि प्रदेश में सरकार बदल गई है। भाजपा के डेढ़ दशक की सत्ता के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है। तब बिसे यादव के अंदर राजनीति शेर ने फिर नई करवट ली है और उन्होंने ग्लोबल डेमोके्रटिक पार्टी नामक नए सियासी दल का गठन कर स्थानीय राजनीति में फिर से खलबली मचाने की कोशिश की है। गुटबाजी का दंश झेल रही भाजपा को बिसे यादव का यह कदम निश्चित रूप से भारी पड़ सकता है। बिसे यादव के आगामी कदम पर भाजपा के साथ ही अन्य दलों की भी दृष्टि लगी हुई है।

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