छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

उपभोक्ता फोरम ने सहकारी केंद्रीय बैंक एवं सहकारी समिति पर लगाया 10.52 लाख जुर्माना

 

दुर्ग। जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक एवं सेवा सहकारी समिति कुंवरा पर दो अलग-अलग मामले में रु.10.52 लाख हर्जाना लगाया।
पहले मामले में ग्राम पौसरी तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा निवासी परिवादी श्रीमती गुलापा बाई की शिकायत थी कि, उसके पति की मृत्यु सांप काटने से दुर्घटनावश हुई थी जिसके संबंध में बीमा दावा करने बाद में बैंक ने यह जानकारी दी कि, केसीसी बीमा प्रीमियम सूची में नाम नहीं होने के कारण उसका क्लेम फार्म बीमा कंपनी द्वारा वापस कर दिया गया है।

अनावेदकगण का बचाव

अनावेदकगण ने प्रकरण में उपस्थित होकर दलील दी कि, परिवादी का पति अनावेदकगण का किसान क्रेडिट कार्ड धारक था और उसने अपने केसीसी कार्ड से ऋण नहीं उठाया था तथा ऋण नहीं उठाने के कारण उसका बीमा नहीं कराया गया, इसमें किसी प्रकार से सेवा में कमी नहीं की गई है ।

उपभोक्ता फोरम का फैसला

जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष पेश दस्तावेजों के आधार पर यह प्रकट हुआ कि, अनावेदक बैंक के संचालक मंडल में लिए निर्णय अनुसार समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा सुविधा समस्त केसीसी धारकों के लिए थी क्योंकि संचालक मंडल के निर्णय में ऐसा कहीं भी उल्लेखित नहीं है कि, सिर्फ  ऋण प्राप्तकर्ता केसीसी धारकों को ही बीमा सुविधा दिलाई जानी है। मृतक भी बैंक के संचालक मंडल के निर्णय अनुसार समस्त केसीसी खाताधारकों के समान बीमा कवरेज पाने का अधिकारी था परंतु अनावेदकगण की लापरवाही के कारण उसे बीमा कवरेज प्राप्त नहीं हो सका, इस कारण परिवादी के मृतक पति को बीमित ही माना जाएगा तदनुसार जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने अनावेदक बैंक एवं सहकारी समिति कुंवरा नवागढ़ को बीमा धनराशि के रूप में रु.5,00,000 मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप रु.25,000 एवं वाद व्यय हेतु रु.1000 भुगतान करने का आदेश सुनाया।

इसी प्रकार दूसरे मामले में परिवादी शिव प्रसाद राजपूत की शिकायत थी कि, उसके भाई लीलाराम राजपूत की सड़क दुर्घटना में घायल होने से मृत्यु पश्चात उसे बीमाधन प्राप्त नहीं हुआ। इस मामले में भी अनावेदकगण के तर्कों को खारिज करते हुए उन पर बीमा धनराशि के रूप में रु.5,00,000 मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप रु. 25,000 एवं वाद व्यय हेतु रु.1000 हर्जाना लगाया।

दोनों मामलों को मिलाकर कुल रु.10,52,000 हर्जाना लगाया गया जिसमें परिवाद प्रस्तुती दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज पृथक से देय होगा।

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