The Big Picture With RKM: आखिरी चरण में ध्यान और भगवान पर घमासान! पीएम मोदी को अवतार बताने के क्या हैं सियासी मायने?

रायपुरः PM Modi an incarnation of God कहा जाता है कि सियासत हर समय अपने रंग-ढंग बदलती रहती है। इस बार के लोकसभा चुनाव में यह बात सटीक बैठती हुई दिखी। 19 अप्रैल से देश में सात चरणों में शुरू हुई चुनाव की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। हर चरणों में राजनेताओं के मुंह से इस बार नए-नए शब्द सुनने को मिले। चुनावी मौसम में जो लड़ाई जमीन पर लड़ी जाती है, जनता के मु्द्दों पर लड़ी जाती है, वह लड़ाई अब मंदिर, मस्जिद, हिंदू, मुसलमान होते हुए परमात्मा और उनके दूत तक पहुंच गई है। चलिए समझते है कि आखिर पीएम मोदी को परमात्मा का दूत क्यों कहा जा रहा है और इसके सियासी मायने क्या हैं?
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PM Modi an incarnation of God लोकसभा चुनाव के दौरान मीडिया सहित अन्य संचार साधनों से हमने भाजपा के नेताओं के बयान सुने हैं, जिसमें वे लोग कह रहे थे कि मोदी भगवान है। वह कोई अवतार है। ईश्वर ने उनको धरती पर कुछ विशेष कार्य करने के लिए भेजा है। पीएम मोदी बायोलॉजिकल पैदा नहीं हुए हैं। अगर हुए भी है तो वह केवल एक माध्यम था। वह 140 करोड़ जनता की सेवा करने के लिए भेजे गए हैं। कंगना रनौत, प्रहलाद जोशी जैसे कई नेताओं ने माना है कि पीएम मोदी एकदम भगवान की तरह हैं। वह एक अवतार हैं। इस पर मेरा मानना है कि इस तरीके के बयान को या तो आप एक उच्चतम दर्जे की चापलूसी मान लीजिए या फिर हो सकता है उनको ऐसा सही में ही लगा हो। ऐसी उनको अनुभूति हुई हो, जब मोदी जी से मिले हो। मैं आपको अपना खुद का एक किस्सा बताता हूं। बहुत बड़ी महिला पत्रकार है, जो कि खुद की अपनी पत्रिका चलाती हैं और 2014 के चुनावों से पहले वह लेफ्ट लीनिंग की मानी जाती थी। 2014 से पहले उन्होंने पूरे गुजरात का दौरा किया और पूरे गुजरात को देखा समझा। इस दौरान उन्होंने मोदी जी का लंबा इंटरव्यू रिकॉर्ड किया। उस समय मोदी जी की प्रधानमंत्री को लेकर दावेदारी की चर्चा चल रही थी, लेकिन वह उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस दौरान मैं दूसरे चैनल पर काम कर रहा था। हमारे चैनल की ओर से यह निर्णय लिया गया कि हमें वह इंटरव्यू उनसे लेकर अपने चैनल पर चलाना चाहिए। मैं और एक सहयोगी उनसे मिलने गए और हमने उनसे बात की। उनकी बात सुनकर मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। मैं दंग रह गया। वह मुझसे बोलीं ‘मोदी यह व्यक्ति नहीं है। वह एक देवीय शक्ति है। आजकल के नेता पीएम मोदी को समझ नहीं सकते हैं। उनकी सोच इन सब नेताओं से आगे है। जहां से वे सोचना शुरू करते हैं, सब नेताओं की सोच वहां तक खत्म हो चुकी होती है। वो एकदम देवीय शक्ति के समान है।’ उनकी बातों को सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। क्योंकि मैं उनको एक वामपंथी विचारधारा की महिला मानता था और वह एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात कर रही हैं, जो वामपंथी विचारधारा के खिलाफ लगातार बोलते हैं। ये मेरे लिए हैरत भरा पल था कि जो महिला मोदी के खिलाफ लगातार बोल रही है, वो ही उनको अवतार बता रही थी। अब तो कई साक्षात्कारों में मोदी जी भी खुद कह रहे हैं कि मुझे तो किसी विशेष पर्पस के लिए भेजा गया है। परमात्मा मुझसे काम करा रहे हैं।
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परमात्मा और उनके दूत तक क्यों पहुंची सियासी लड़ाई?
अब सवाल है कि जमीनी लड़ाई आखिर परमात्मा और उनके दूत तक क्यों पहुंची? इस पर मेरे चार अवलोकन है। पहला यह है कि प्रसिद्ध भजन मेरे आप की कृपा की सब से काम हो रहा है.. की तरह ही मोदी जी कहना चाह रहे हो कि मैं एक एक माध्यम हूं। भगवान ने मुझे जिम्मेदारी दी है मैं किस जगह से उठा और आज इतनी बड़ी जिम्मेदारी मैं निभा रहा हूं। भगवान मेरे से करा रहे हैं और मेरा नाम हो रहा है। दूसरा जो कि कंट्रोवर्शियल हो सकता है कि यदि वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे तो उसके लिए पोजिशनिंग कर रहे हो। क्योंकि ये लगभग माना जा रहा है कि वो एनडीए गंठबंधन निकाल लेंगे। अब राष्ट्रपति तो वो नहीं बनेंगे और राष्ट्रपिता की जगह खाली नहीं है। तो ऐसे में राष्ट्रप्रभु या राष्ट्र परमात्मा की जगह खाली बचती है। क्योंकि मोदी कह भी चुके हैं कि भाई अपना क्या है, अपन तो फकीर है, किसी दिन उठेंगे झोला उठाएंगे और चल देंगे। वैसे भी इस देश में साधु-संतों और फकीरों को भगवान मानकर पूजा करने की एक पुरानी परंपरा है। साईं बाबा सहित अन्य साधु-संत इसके उदाहरण है। तीसरा ये भी हो सकता है कि पीएम मोदी देश के धार्मिक मानसिकता के लोगों को प्रभावित करना चाहते हों। क्योंकि देश की ज्यादातर जनता धार्मिक मन रखती है। धार्मिक स्वभाव की है। ऐसे लोगों की मानसिकता को मोदी यह कहकर प्रभावित करना चाहते हो कि देखो भाई मैं 140 करोड़ की जनता को मैं अपना भगवान मानता हूं और वो साकार है और मेरे अंदर निराकार है। क्योंकि देश में एक बहुत बड़ा वोट बैंक हिंदूओं का है, जो संतों और भगवान में बहुत विश्वास रखता है। जो राम मंदिर का श्रेय मोदी को देता है। हो सकता है कि उन मानसिकता को वे आकर्षित करने के लिए ऐसी बातें कह रहे हो। अक्सर हम देखते भी है कि आजकल इतनी भीषण गर्मी में भी लोग प्रदीप मिश्रा जैसे कथावाचकों के पंडाल में पहुंच जाते हैं। देश में जितने भी कथावाचक हैं, जितने भी साधु संत हैं, उनको जनता मानती हैं।
विपक्ष उड़ा रहा मोदी का मजाक, क्या होगा वोटरों पर असर?
दूसरी तरफ हमने देखा कि उनके विपक्षी राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल जैसे नेता उनकी इस बात का पूरा मखौल उड़ा रहे हैं। मजाक उड़ा रहे हैं। पहली बात इससे वोटरों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। दूसरा आप उनके जो समर्थक है उनको तो पहले से ही भक्त कहते हो। भक्त तो भगवान के ही होते हैं। इस तरह से आपने पहले से मोदी को भगवान बना चुके हो। हमने ग्राउंड रिपोर्ट में भी देखा कि देश के हर वर्ग को मोदी की योजनाओं का फायदा मिला है। जिनकी वजह से वे पिछले दो चुनाव बड़े मेंडेट के साथ जीते थे। चुनाव की जीत की वजह की लगभग इसी को माना गया कि लाभार्थियों ने भाजपा को वोट किया है। हमने अपने रिपोर्टर्स के रिपोर्टों में भी देखा कि लोग कह रहे हैं कि मोदी तो हमारे लिए भगवान की तरह हैं। यह एक भावना लोगों के बीच है। इसलिए वोटर पर उससे असर नहीं पड़ने वाला है। मेरा मानना है कि देखिए यह एक पोजिशनिंग है। एक बड़ी अच्छी मार्केटिंग प्रैक्टिस है। लोग भी मानते हैं कि मोदी मार्केटिंग अच्छी करते हैं। और अंत मैं कहना चाहता हूं कि ईश्वर तो बस एक ही है।