Maa Gadha Dai Mandir: छत्तीसगढ़ में स्थित मां गढ़ा दाई का मंदिर, जहां नहीं है कोई भी मूर्ति, गेरुए रंग के साये से कांपने लगती है पहाड़ी
कोरिया। मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिला जो कि प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ दैवीय शक्ति पीठों के लिए भी जाना जाता है । यहां पर माता रानी के ऐसे शक्तिपीठ है जो आज भी विज्ञान के लिए रहस्य बने हुए है, जिनमें से एक प्राचीन गढ़ा दाई का मंदिर भी है जो कि अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। जहां लोगों में इस मंदिर को लेकर अपनी एक अलग ही आस्था है जो दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
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भरतपुर विकासखण्ड मुख्यालय जनकपुर से पैतालीस किलोमीटर दूर तितौली ग्राम में एक पहाड़ की ऊंचाई पर माता आदिशक्ति स्वरूप मां गढ़ा दाई का मंदिर है। इस मंदिर में लोग बड़ी दूर दराज से बड़े श्रद्धा भाव के साथ अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और मां गढ़ा दाई उनकी सारी इच्छाएं भी पूरी करती है। कहते हैं कि जो इस गढ़ा माता रानी से सच्चे दिल से फरियाद करता है माता रानी उसके सारे मन्नत पूरी करती है। पहाड़ी के ऊपर बने इस मंदिर में आज भी प्राचीन काल के ढोल नगाड़े पत्थर के रूप में स्थापित है।
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यह एक ऐसा शक्तिपीठ है जहां पर शक्ति स्वरूपा मां गढ़ा दाई का मंदिर तो है। लेकिन, यहां उनकी कोई मूर्ति नहीं है। लोग यहां पर पहाड़ की पूजा करते हैं। यह माता का चमत्कार ही है जहां लोग बिना मूर्ति के इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। लगभग पांच सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर प्राचीन मां गढ़ा दाई का शक्तिपीठ मंदिर है जो कि यहां आने वाले भक्तों के लिए उनके आस्था का केंद्र तो है ही। लेकिन, यहां पर एक विचित्र बात यह उठती है कि जब भी यहां पर गेरूआ रंग का साया पड़ता है तो यह पहाड़ी कांप उठती है या इसे यह भी कह सकते हैं की पूरी पहाड़ी पर कंपन होने लगता है।