लाल ईंटों पर प्रतिबंध बेअसर, एश ब्रिक्स के 32 में से 10 उद्योग बंद, बाकी की भी माली हालत खराब
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कांकेर सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- पर्यावरण संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाल ईटों पर 2012-13 में प्रतिबंध लगाया गया है। 6 सालों बाद भी प्रतिबंध का जिले में कोई असर नहीं है तथा धड़ल्ले से अवैध रूप से लाल ईटों का निर्माण चल रहा है। लाल ईट के अवैध निर्माण पर रोक नहीं लग पाने से बैंकों से कर्ज लेकर 32 फ्लाई एश ब्रिक्स निर्माण उद्योगों लगाने वाले परेशान हैं। इनमें से 10 ने उद्योग बंद कर दिए हैं जबकि बाकी भी काम बंद करने की कगार पर है।
लाल ईट की जगह फ्लाई एश ब्रिक्स का उपयोग करने का आदेश है। लाल ईट निर्माण पर पूरी तरह रोक लगाने कार्रवाई करने की मांग कई बार फ्लाई एश ब्रिक्स संघ खनिज विभाग तथा जिला प्रशासन से कर चुका है लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते अवैध ढग़ से पेड़ काट लाल ईटों का निर्माण जगह जगह हो रहा है। मोहपुर, किरस्टीकुर, कोकपुर, दसपुर, देवरी, कुरना, ढ़ेकुना, चारामा के अलावा पखांजूर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से लाल ईंट निर्माण किया जा रहा है।
इसे लेकर फ्लाई एश ब्रिक्स संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है। क्योंकि इसके चलते इनका उद्योग चौपट हो गया है। संघ ने इसकी कई जगह शिकायत की है। लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिससे अब वे मामले को कोर्ट ले जाने की तैयारी में हैं। संघ ने अधिवक्ता के माध्यम से कलेक्टर, एसडीएम व खनिज विभाग को नोटिस भेजते लाल ईट निर्माण पर पूरी तरह रोकथाम लगाने कार्रवाई करने कहा है।
10 उद्योग नुकसान के चलते हुए बंद .लाल ईटों पर प्रतिबंध होने पर जिले में फ्लाई एश ब्रिक्स के 32 उद्योग खोले गए। इनमें से 10 उद्योग नुकसान के चलते बंद हो चुके हैं। बाकी भी बंद होने की कगार पर ही हैं। लाल ईट के चलते फ्लाई एश ब्रिक्स की बिक्री नहीं होती है। फ्लाई एश ब्रिक्स उद्योग लगाने में 10 लाख की लागत आती है। सभी ने बैंक से लोन लेकर उद्योग लगाया लेकिन बैंक की किश्त तक नहीं पटा पा रहे हैं। कोकपुर के देवकुमार जैैन ने कहा लाल ईट अवैध ढंग से बिक्री हो रही है। 20 दिन पहले मजबूरी में फ्लाई एश ब्रिक्स उद्योग बंद करना पड़ा। ग्राम बागोडार के सुलोचन सिन्हा ने कहा नुकसान के चलते 15 दिन पहले अपना उद्योग बंद कर दिया।
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