छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

कोरोना के खौफ के बीच लोग होली मनाने कर रहे तैयारी,चीनी सामानों से कर रहे हैं गुरेज हर्बल गुलाल और रंग बिरंगी मास्क की बढ़ी मांग

भिलाई। कोरोना के खौफ के बीच लोग होली मनाने की तैयारी कर रहे है, आज से होली मनाने का सिलसिला पूर्ण रूप से शुरू हो रहा है। होली का त्योहार नजदीक आते ही इस्पात नगरी सहित इसके आसपास के बाजारों में चहल-पहल बढऩे लगी। होली की खरीददारी के लिए बाजारों में पहुंच रहे लोगों में कोरोना वायरस का खौफ भी साफ दिख रहा है। इसके चलते लोग चीनी पिचकारी व रंग गुलाल खरीदने से परहेज कर रहे हैं। स्वदेशी पिचकारियों के साथ ही हर्बल गुलाल और रंग-बिरंगे मास्क की मांग बढ़ी हुई है।

रंगों के पर्व होली के लिए शहर के सभी प्रमुख बाजारों में अस्थायी दुकानें सज गई है। होली का पर्व मंगलवार को मनाया जाना है लेकिन लोगों ने रविवारीय अवकाश होने से अधिकतर लोगों ने बाजारों का रुख किया। लिहाजा होली सामग्री की दुकानों में अन्य दिनों की अपेक्षा आज भीड़ अधिक रही। होली के बाजार में कोरोना वायरस का खौफ इस बार खासा असर डाल रहा है। ज्यादातर लोगों ने चीन से आयातित होली के सामानों की खरीदी से परहेज करने में ही अपनी भलाई समझी। इस वजह से स्वदेशी रंग गुलाल और पिचकारियों को बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है।

इस बार बच्चों को एके 47 व मिसाइल सहित कार्टून चरित्र वाले पिचकारी खूब पसंद आ रहे हैं। कोरोना वायरस के खौफ की वजह से इस बार बाजार में मास्क की भी अच्छी खासी डिमांड बनी हुई है। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी डोरेमन, छोटा भीम जैसे कार्टून चरित्र की पिचकारी खरीदने बच्चे जिद कर रहे हैं। युवाओं को जहां डरावने मास्क पसंद आ रहे हैं तो वहीं बच्चे शेर, भालू के मास्क खरीदने में लगे हुए हैं।

भिलाई-दुर्ग के होली बाजार में हाल के वर्षों के भीतर चीन से आयातित रंग और गुलाल की मांग कुछ ज्यादा ही बनी रहती थी। लेकिन इस बार कोरोना के खौफ से लोग स्वदेशी हर्बल रंग गुलाल खरीद रहे हैं। भिलाई शहर में जवाहर मार्केट, सर्कुलर मार्केट, सुपेला बाजार, सेक्टर-6 मार्केट सहित टाउनशिप के अन्य सभी मार्केट में होली का अस्थायी बाजार सजाया गया है। इसके अलावा भिलाई-3 चरोदा, जामुल, खुर्सीपार, कुम्हारी आदि में भी होली के चलते बाजारों में रौनक बिखरने लगी है।

आशा के अनुरूप नही बिक रहा है नगाड़ा

छत्तीसगढ़ में होली के अवसर पर नगाड़ा बजाकर फाग गीत गाने की परंपरा रही है। लेकिन अब आधुनिकता की चकाचौंध में यह परंपरा मानो कहीं खो गई है। लिहाजा गांव से अच्छी कमाई के उम्मीद से नगाड़ों की खेप लेकर शहर पहुंचे लोगों को निराश होना पड़ रहा है। भिलाई-दुर्ग में विभिन्न मार्केट और चौक चौराहों पर छोटे बड़े साइज के नगाड़े बिकने के लिए रखे गए हैं। लेकिन अपेक्षा के अनुरुप ग्राहक नहीं मिलने से नगाड़ा विक्रेताओं की होली फीकी रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।

गुजिया और नमकीन की बिक्री बढ़ी

होली पर परंपरागत पकवान और नमकीन बनाया जाता है। पहले सामूहिक परिवारों का चलन था जिसमें घर की महिलाएं पारम्परिक पकवान बनाती थी। लेकिन सामूहिक परिवारों में आई टूटन के चलते होली पर गुजिया और सूखे नमकीन अब होटल में बिकने लगे हैं। भिलाई-दुर्ग में अनेक होटल व रेस्टोरेंट संचालकों ने होली पर गुजिया जैसे पारम्परिक पकवान बनवाये हैं। परंपरा का निर्वहन करते शहरवासियों के द्वारा होटल में जाकर गुजिया सहित अन्य मिठाईयां और नमकीन खरीदी जा रही है।

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