बीमा करते समय धारक की स्थिति नहीं जानी, मौत के बाद क्लेम किया तो बीमारी का हवाला देकर नहीं किया भुगतान

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़- श्री राम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने युवती का बीमा करते समय इस बात का ध्यान नहीं दिया कि वह बीमार है या स्वस्थ है। नियमानुसार बीमा के समय कंपनी को डॉक्टर का सर्टिफिकेट लेना था। बीमा के बाद जब बीमित बच्ची की मौत हो गई तो उसके पालक ने बीमा राशि के लिए क्लेम किया। कंपनी ने क्लेम देने से इनकार करते हुए हवाला दिया कि उसकी बीमारी की जानकारी नहीं दी गई।
कंपनी द्वारा भुगतान करने से इनकार करने पर बीमित बच्ची के पिता ने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। फोरम ने कंपनी को निर्देश दिया है कि पॉलिसी की रकम डेढ़ लाख रुपए ब्याज सहित एक माह के भीतर भुगतान करें। साथ ही 10 हजार रुपए मानसिक क्षतिपूर्ति व 2000 रुपए वाद व्यय का भी भुगतान करना होगा।
सक्ती तहसील के ग्राम सरहर निवासी पारसनाथ साहू ने अपनी पुत्री कु राशि साहू (उम्र ढ़ाई वर्ष)के नाम से इंकम प्लान के तहत श्री राम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था। बीमा की अवधि 17 सितंबर 2017 से 10 वर्ष के लिए थी। पॉलिसी धारक कु राशि साहू की मृत्यु 5 जनवरी 2019 को हो गई, जिसकी जानकारी देते हुए पारसनाथ ने बीमा का क्लेम मांगा। बीमा कम्पनी श्री राम लाइफ इंश्योरेंस द्वारा कु राशि की मृत्यु बचपन से गंभीर बीमारी से होना बताया और आवेदक पर बीमारी की बात छुपाने का आरोप लगाते हुए बीमा क्लेम का भुगतान रोक दिया। इस पर पारसनाथ ने मामला उपभोक्ता फोरम में प्रस्तुत किया, जहां फोरम के अध्यक्ष श्रीमती तजेश्वरी देवी देवांगन सदस्य मनरमण सिंह व मंजूलता राठौर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि बीमा कंपनी द्वारा समय पर प्रीमियम जमा करने के बाद भी क्लेम का भुगतान नहीं करना सेवा में कमी की श्रेणी में है। मामले में फोरम ने फैसला सुनाया कि बीमा कंपनी एक माह के भीतर आवेदक को पॉलिसी की पूरी रकम मृत्यु दिनांक से भुगतान होने तक ब्याज सहित अदा करे। साथ ही आवेदक को 10 हजार रूपए मानसिक क्षतिपूर्ति तथा 2000 रुपए वाद व्यय के लिए भुगतान करे।
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