धर्म

14 मार्च से सूर्य के मीन राशि में, शुरू होगा खरमास; 13 अप्रैल तक मांगलिक कामों के लिए नहीं रहेंगे शुभ मुहूर्त

गुरुवार, 14 मार्च सूर्य का मीन राशि में प्रवेश होगा। इसके बाद ये ग्रह 13 अप्रैल की रात तक इसी राशि में रहेगा। सूर्य के मीन राशि में आने से खरमास शुरू हो जाएगा। खरमास में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे मांगलिक संस्कार के मुहूर्त नहीं रहते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सूर्य जब गुरु ग्रह की धनु या मीन राशि में रहता है तो उस समय को खरमास कहा जाता है। खरमास पूजा-पाठ के नजरिए से बहुत शुभ है, लेकिन इस महीने में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नए काम की शुरुआत जैसे मांगलिक कामों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। इस महीने में पूजा-पाठ के साथ ही शास्त्रों का पाठ, सत्संग, मंत्र जप करने की परंपरा है।

मान्यता – भगवान सूर्य करेंगे गुरु बृहस्पति की सेवा

गुरु ग्रह यानी देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। सूर्य सभी 12 राशियों में भ्रमण करता है और एक राशि में करीब एक माह ठहरता है। इस तरह सूर्य एक साल में सभी 12 राशियों का एक चक्कर पूरा कर लेता है।

सूर्य जब धनु और मीन राशि में आता है, तब खरमास शुरू होता है। इसके बाद सूर्य जब तक इन दो राशियों में रहता है, तब तक खरमास रहता है। ज्योतिष की मान्यता है कि खरमास में भगवान सूर्य अपने गुरु बृहस्पति के घर में रहते हैं और उनकी सेवा करते हैं।

खरमास में क्यों नहीं रहते हैं शुभ मुहूर्त

किसी भी शुभ काम की शुरुआत में पंचदेवों का पूजन किया जाता है। इन पंचदेवों में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं। इन पांचों देवताओं की पूजा के बाद ही शुभ काम आगे बढ़ते हैं। खरमास में सूर्य देव अपने गुरु की सेवा में रहते हैं, इस कारण वे हमारे शुभ काम में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। सूर्य की अनुपस्थिति में किए गए शुभ काम सफल नहीं होते हैं। इसी मान्यता की वजह से खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं।

खरमास में कर सकते हैं ये शुभ काम

इस महीने में अपने इष्टदेव के मंत्र का जप करें।

शिवलिंग, बाल गोपाल, महालक्ष्मी और विष्णु जी का अभिषेक करें।

रोज सुबह सूर्य अर्घ्य अर्पित करें।

किसी मंदिर में पूजन सामग्री दान करें।

गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।

इस महीने में तीर्थ दर्शन और पवित्र नदियों में स्नान करने की भी परंपरा है।

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