सच्चा प्यार: 15 साल निभाई दोस्त, अब बने पति-पत्नी, धूमधाम से हुई शादी, बस जिंदगी में रहेगी एक कमी
मध्य प्रदेश के जबलपुर में नेत्रहीन युवक और युवती ने 15 साल तक एक दूसरे के साथ दोस्ती निभाने. फिर दोनों ने जीवन साथी बनने का फैसला लिया. अब सात फेरे लेकर पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में बंध गए. सदर स्थित काली मंदिर में दोनों ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शादी की. इस अनोखी शादी में उनके साथ पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं, शिक्षक, शहर के जनप्रतिनिधि और राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे.इस खास शादी का जिम्मा राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने उठाया था और शादी का खर्च और नव दंपति को गृहस्थी की तमाम चीज भी उन्हीं की तरफ से उपलब्ध कराई गई. जानकारी के मुताबिक कटनी जिले के रहने वाले नरेंद्र और वंदना जन्म से ही देख नहीं सकते. इसकी वजह से उनके माता-पिता ने उन्हें जबलपुर के दृष्टिहीन आश्रम में छोड़ दिया था.बचपन से ही दोनों इसी दृष्टिहीन आश्रम में साथ रहे. साथ में पढ़े, लिखे, खेले कूदे और एक साथ ही बड़े हुए. दोनों के बीच मन का मेल पहले ही हो चुका था. इसके बाद दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम कर जीवन भर साथ रहने का फैसला ले लिया. नरेंद्र इस समय अंधमूक बायपास स्थित नेत्रहीन शाला में शिक्षक के रूप में नौकरी करते हैं तो वहीं वंदना भी प्राइवेट जॉब करती हैं. दोनों शिक्षा हासिल करने के बाद आत्मनिर्भर बनसदर स्थित काली मंदिर में विवाह के दौरान माहौल ऐसा था कि हर कोई इस जोड़े को देखने के लिए उत्सुक नजर आया. दूल्हे को बाकायदा घोड़ी पर बिठाकर बैंड बाजा के साथ विवाह स्थल तक लाया गया. फिर मंच पर दूल्हा-दुल्हन ने एक दूसरे को जयमाला पहनाई. इसके बाद लोगों ने उनके साथ तस्वीरें खिंचवाई. फिर मंडप के नीचे दोनों ने सात फेरे लिए और अग्नि को साक्षी मानकर जीवन भर एक दूसरे का साथ निभाने का वादा किया.इस कार्यक्रम में शामिल हुए भारतीय जनता के युवा नेता ने बताया कि वह कई सालों से दृष्टिहीन आश्रम से जुड़े हुए हैं और अक्सर वहां जाकर अपने दिव्यांग भाई – बहनों के साथ वक्त बिताते हैं. अब जब यह मौका मिला कि उनकी शादी करवाना है तो संगठन के तमाम वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ वे भी इस विवाह कार्यक्रम में पहुंचे और शामिल हुए है. बहरहाल यह आयोजन शहर भर में चर्चा का विषय बना हुआ है.