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तर्रिघाट में सुरहुति के दिन इशर गौरी गौरा की निकाली गई बारात

छत्तीसगढ़ में दीवाली पर्व का अलग ही महत्त्व है

पाटन –  दीपावली जो की दिपो का त्यौहार कहलाता है वहीं छत्तीसगढ़ में दिवाली का अपना अलग ही महत्व होता है, छत्तीसगढ़ में देवारी तीन दिनों का पर्व होता है जिसमे पहले दिन को सुरहुति कहा जाता है, वही दुसरे दिन गोवर्धन पूजा मनाया जाता है, और तीसरे दिन  को मातर के रूप बड़े ही धुमधाम से मनाते हैं, आज पहला दिन सुरहुति के दिन तर्रिघात में  भगवान शंकर व मातापार्वती के विवाह को झांकी के रूप में निकाला गया, जिसमे आदिवासी समाज के लोगों द्वारा इशर गौरी गौरा की बारात निकाली गई, जिसमे बारात का गली भ्रमण कराया गया, जहां बारात में शामिल लोगों ने साकड़ पिटाने की परंपरा का निर्वहन किया गया  फिर गौरा चौरा मे विराजमान कराया गया, भगवान शंकर व माता पार्वती के दर्शन करने बड़ी संख्या में ग्रामवासीयों का तांता लगा रहा, ततपश्चात इशर गौरी गौरा को विसर्जित करने खारून नदी ले जाया गया, जिसमे लोगों ने बड़ी संख्या में शामिल होकर भगवान को विदा किया ! आइये देखते है, पाटन तर्रिघात से कैमरामैन चंद्रकांत साहू के साथ मुकेश सेन की एक रिपोर्ट….

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