छत्तीसगढ़

शिवरीनारायण में है देश का एकमात्र काला हनुमान मंदिर, 11वीं शताब्दी में बनी प्रतिमा

भिलाई सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़-   हम इस बार 27 अक्टूबर को दीपावली मनाने जा रहे हैं। दीपावली का पर्व हम हर साल भगवान राम के लंका विजय और राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में मनाते आ रहे हैं। लंका विजय में रामभक्त हनुमान की अहम भूमिका रही है। इसे देखते हुए इस दीपावली पर हम हनुमानजी के ऐसे रूप को भी सामने ला रहे हैं, जिससे शायद अधिकांश लोग अनभिज्ञ हो। हनुमानजी की प्रतिमा को हमने हमेशा लाल वर्ण और रंग का देखा है। उनकी आराधना भी चमेली के तेल या घी से भीगे सिंदूर (बंदन) से होती है, लेकिन राजधानी रायपुर से करीब 120 किलोमीटर दूर शिवरीनारायण में दक्षिणमुखी काला हनुमानजी का मंदिर है।

यह देश का एकमात्र मंदिर है, जहां हनुमानजी की प्रतिमा काले रंग की है। यह काले रंग के पत्थर से बना है। इसे लंका दहन हनुमान कहा जाता है। यहां उनकी प्रतिदिन पूजा तिल या चमेली के तेल से की जाती है। उनके शरीर की मालिस की जाती है, ताकि लंका दहन की थकान दूर हो सके। शिवरीनारायण और दूधाधारी मठ के सर्वावराकार तथा वाल्मिकी रामायण के सुंदरकांड पर पीएचडी प्राप्त राजेश्री महंत डॉ. रामसुंदर दास का कहना है कि लंका दहन के दौरान हनुमानजी अति क्रोधित थे। भवनों के जलने से काफी धुआं निकला था।

शिवरी नारायण मठ के पहले सर्ववराकार ने किया स्थापित
शिवरी नारायण मठ का काम देख रहे रामेश्वर दास त्यागी ने बताया कि 11वीं शताब्दी में जब हैह्यवंशी राजा ने शिवरी नारायण मंदिर का निर्माण कराया था। इसी समय मठ के पहले सर्वावराकर महंत दयाराम दास को हनुमानजी की इस विशेषता की जानकारी मिली। उन्होंने शिवरीनारायण मंदिर के पीछे और जगन्नाथ मंदिर के सामने करीब 9 सौ साल पहले काले हनुमानजी की प्रतिमा की स्थापना की। उन्होंने आग से झुलसे व्यक्ति का जिस तरह उपचार किया जाता है और उसकी तपन तथा थकान दूर की जाती है, ठीक उसी विधि से उनकी पूजा की। तब से यहां हनुमानजी की पूजा करते समय हर दिन तिल या चमेली के तेल से मालिस की जाती है। राजेश्री महंत डॉ. रामसुंदर दास इसके 15वें सर्ववराकार हैं।

 

 

 

विज्ञापन समाचार हेतु सपर्क करे-
9425569117/7580804100

Related Articles

Back to top button