दाऊद इब्राहिम क्यों अपनी गर्लफ्रेंड के घर रामपुरी चाकू लेकर पहुंच गया था? खाली हाथ लौटा था
दाऊद इब्राहिम की जिंदगी के तमाम किस्से मशहूर हैं. कभी मुंबई में अपराध का पर्याय रहे दाऊद की लव स्टोरी भी खासी चर्चित है. अंडरवर्ल्ड डॉन को जिस लड़की से पहली बार प्यार हुआ, वह पंजाबी थी और दक्षिणी मुंबई में दाऊद की दुकान के करीब रहा करती थी. नाम था सुजाता. एस. हुसैन जैदी ने अपनी किताब ‘डोंगरी से दुबई तक’ में दाऊद इब्राहिम की लव स्टोरी (Dawood Ibrahim Love Story) पर विस्तार से लिखा है. वह लिखते हैं कि सुजाता जब भी दाऊद की दुकान के सामने से गुजरती, वह एकटक उसे देखा करता
सुजाता के परिवार को रास नहीं आया अफेयर
दाऊद, सुजाता के प्यार में पागल हो गया. एक झलक पाने के लिए बस स्टॉप पर घंटों इंतजार करता. यह सिलसिला कुछ दिनों तक चला और आखिरकार सुजाता भी उसकी तरफ खींची चली आई. जब सुजाता के माता-पिता को इस अफेयर का पता चला तो वह आग बबूला हो उठे, क्योंकि दाऊद मुसलमान था और गुंडागर्दी के लिए बदनाम था. सुजाता के पेरेंट्स को दोनों का करीब आना कतई पसंद नहीं आया.
उन्होंने फौरन अपनी जाति का एक लड़का खोजा और सुजाता की सगाई कर दी. यहां तक कि सुजाता के घर से निकलने पर भी पाबंदी लगा दी.गर्लफ्रेंड के घर रामपुरी चाकू लेकर पहुंच गया डॉन
जैदी लिखते हैं कि जब दाऊद (Dawood Ibrahim) को इस बात का पता लगा तो वह आपे से बाहर हो गया और रामपुरी चाकू लेकर सुजाता के घर धमक पड़ा. घर का दरवाजा जोर-जोर से पीटने लगा. सुजाता के पिता अपने घर से निकले तो दाऊद ने चीखते हुए कहा कि वह किसके साथ रहना चाहती है, इसका फैसला उसी को करने दें. इस बीच आसपास भारी भीड़ भी जुट गई.
थोड़ी देर बाद सुजाता अपने कमरे से निकली. उसके माता-पिता ने कह दिया कि वह दाऊद और उनमें से किसी एक को चुन ले. अगर गुंडे-मवाली दाऊद के साथ गई तो वो बिल्डिंग से कूद कर अपनी जान दे देंगे और वह अनाथ हो जाएगी. सुजाता धर्म संकट में फंस गई और आखिरकार दाऊद से रिश्ता तोड़ लिया. सुजाता ने कहा- ”हमारा साथ मुमकिन नहीं, मैं तुमसे शादी नहीं कर पाऊंगी…”
गाली देता हुआ लौटा घर
दाऊद, को इस बात से सदमा जैसा लगा. वह सुजाता को गाली देता हुआ वहां से लौट आया. हुसैन जैदी लिखते हैं कि साल 1983 में इस अफेयर के टूटने के बाद दाऊद इब्राहिम उदास रहने लगा, लेकिन यह उदासी ज्यादा दिन नहीं टिकी. इश्क ने फिर उसकी जिंदगी में दस्तक दी. दाऊद, मनीष मार्केट में अपने दोस्त मुमताज की इत्र की दुकान पर अक्सर बैठा करता था.
थोड़ी देर बाद सुजाता अपने कमरे से निकली. उसके माता-पिता ने कह दिया कि वह दाऊद और उनमें से किसी एक को चुन ले. अगर गुंडे-मवाली दाऊद के साथ गई तो वो बिल्डिंग से कूद कर अपनी जान दे देंगे और वह अनाथ हो जाएगी. सुजाता धर्म संकट में फंस गई और आखिरकार दाऊद से रिश्ता तोड़ लिया. सुजाता ने कहा- ”हमारा साथ मुमकिन नहीं, मैं तुमसे शादी नहीं कर पाऊंगी…”
.दूसरी बार हुई मोहब्बत, की शादी
यहीं उसकी नजर मेहजबीन पर पड़ी. वह बिल्कुल मुमताज की तरह दिखती थी. बाद में जब अपने दोस्त से उस लड़की के बारे में पूछा तो पता चला कि वह मुमताज की रिश्तेदार भी है और उसके पिता का नाम युसूफ कश्मीरी है, जो छोटा-मोटा धंधा करते हैं. दाऊद और मेहजबीन करीब आए. उन दिनों दक्षिणी मुंबई के मुसलमान दाऊद को पसंद नहीं करते थे, लेकिन डर के नाते कोई कुछ कह नहीं पाता था. युसूफ कश्मीरी भी अपनी बेटी का दाऊद से रिश्ता नहीं करना चाहते थे, लेकिन बेमन से राजी हो गए.