बहेराखार बांध के गेट का गियर बॉक्स टूटने से खेतों में भरा पानी, 40 एकड़ क्षेत्र में धान की फसल डूबी

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ कवर्धा- बोड़ला ब्लॉक के रेंगाखार जंगल से करीब 10 किमी दूर बहेराखार बांध मौजूद है। साल 1980 में बने इस बांध के गेट का गियर बॉक्स टूट गया है, जिसके चलते बांध से 150 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड की रफ्तार से पानी बेकार बह रहा है। यही नहीं, आसपास के करीब 40 एकड़ रकबे में लगी धान की फसल भी डूब गई है।
घटना रविवार सुबह 10 बजे की है। पखवाड़ेभर पूर्व बांध के गेट खोले गए थे। मुख्य नहर के जरिए क्षेत्र के खेतों में सिंचाई के लिए पानी दिया जा रहा था। रविवार को गेट बंद करना था। जल संसाधन विभाग के कुछेक कर्मी गेट बंद करने गए, लेकिन गियर जाम होने से गेट बंद नहीं हुआ। इस पर इंजीनियर को सूचना दी और कर्मचारी भोजन करने चले गए। तभी बांध में पानी के दबाव से जोर की आवाज के साथ गेट का गियर बॉक्स टूटा गया। बांध से लगातार पानी खेतों में पहुंच रहा है, किसान आक्रोशित हो गए हैं।
एसडीओ और इंजीनियर जिम्मेदार: बांध के गेट का गियर बॉक्स टूटने के लिए जल संसाधन विभाग के एसडीओ अशोक कुमार बोपचे और इंजीनियर एएल राहंगडाले जिम्मेदार है। क्योंकि इस बांध के निर्माण को 39 साल हो चुके हैं, लेकिन इन वर्षों में एक बार भी गेट के गियर बॉक्स की रिपेयरिंग नहीं कराई गई।ॉ
किसानों में आक्रोश: बांध से 150 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड की रफ्तार से बह रहा पानी
बांध से 150 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड की रफ्तार से बह रहा पानी।
89.12 लाख रु. से बना था बांध, ताम्र परियोजना को पानी बेच सालाना 3 करोड़ रु. की कमाई
साल 1980 में अविभाजित मध्यप्रदेश के कबीरधाम जिले के बोड़ला ब्लॉक में बहेराखार बांध का निर्माण किया गया। तब इसे बनाने में 89.12 लाख रुपए खर्च हुआ था। अभी इसमें 99.80 फीसदी पानी भरा है। इलाके के किसानों को सूखे से बचाने के उद्देश्य से बने इस बांध से हर साल ताम्र परियोजना मलाजखंड, जिला बालाघाट (मप्र) को 2.164 मिलियन घन मीटर पानी बेचते हैं। इससे सालाना 3 करोड़ रुपए कमाई कर रहे हैं।
रेंगाखार जंगल. बांध का पानी बहकर खेतों में भर गया इससे खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूबी, ग्रामीणों में नाराजगी।
चार दशक के बाद भी नहरों का विस्तार नहीं किया गया
विभिन्न सरकारें आई और गईं, लेकिन 4 दशक पुराने इस बांध के नहरों का विस्तार नहीं किया जा सका है। स्थिति ये है कि इस बांध से बोड़ला ब्लॉक के बहेराखार, पंडरिया, भिंभौरी, उसरवाही और लोहारीडीह गांव के महज 486 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित है। खेतों तक पानी पहुंचाने सिर्फ 14 किमी लंबी नहर नाली है। जबकि इलाके के रेंगाखार, भीलवाटोला, आमाखोड़रा, चमारी, सरईपतेरा, धामीनडीह, कोलवाटोला और खम्हरिया गांव को इससे पानी नहीं मिलता।
पानी बेचने के लिए साल में 3 महीने का अनुबंध
बताया गया है कि अनुबंध के मुताबिक हर साल अप्रैल, मई और जून महीने में ताम्र परियोजना को बांध से पानी बेचते हैं। इन 3 महीनों में 2 मिलियन घन मीटर पानी परियोजना को देते हैं। साल 2010 के पूर्व ताम्र परियोजना 1.308 एमसीएम पानी खरीदता था, लेकिन अब डिमांड बढ़कर 2 एमसीएम से अधिक हो चुका है।
सिंचाई के लिए पानी देने के बाद गेट के गियर को बंद करने गए, तभी समस्या आई। गियर बॉक्स में जोर की आवाज आई। अब गेट बंद नहीं हो रहा है। टेक्निकल टीम पहुंच चुकी है। पानी के बहाव काे बंजर नदी में डायवर्ट कर दिया है। – अशोक कुमार बाेपचे, एसडीओ, जल संसाधन
बहेराखार बांध के गेट का गियर बॉक्स सुधारने कोशिश की जा रही है। टेक्निकल टीम की मदद से हम पूरा प्रयास कर रहे हैं। पानी में गेट डूबा हुआ है, जिससे समस्या का ठीक-ठीक पता नहीं लगा पा रहे हैं। उस पर लगातार बारिश भी हो रही है। – एएल राहंगडाले, इंजीनियर
विज्ञापन समाचार हेतु सपर्क करे-
9425569117/7580804100