छत्तीसगढ़

अपने अपमान का करारा
जवाब देंगे मेहनतकश
किसान

विजय शर्मा का वीडियो
वायरल होने के बाद
भड़की किसान कांग्रेस

कवर्धा। कवर्धा के भाजपा प्रत्याशी विजय शर्मा का अपने चुनाव प्रचार के दौरान बैठक में गुस्सा होकर माइक फेकना और किसान पर भड़कने वाला वीडियो वायरल क्या हुआ,इसे रोजाना हजारों लोग देख रहे हैं। इस घटना को भाजपा प्रत्याशी के लिए नुकसान पहुंचाने वाला माना जा रहा है। इसे लेकर किसान कांग्रेस ने विजय शर्मा के आचरण की कड़ी निन्दा की है।
किसान कांग्रेस के कबीरधाम जिला अध्यक्ष विजय वैष्णव ने कहा है कि प्रकृति के संघात से खेलकर अपनी आजीविका चलाने वाले धरतीपुत्र का अपमान माफ करने योग्य नही है। भाजपा प्रत्याशी विजय शर्मा द्वारा आयोजित बैठक मे किसानो द्वारा लगातार रासायनिक उर्वरक की कीमतो मे बेतहाशा वृद्धि को लेकर सवाल करने पर तुनककर संबोधन को छोड़कर किसान के उपर उत्तेजित होकर तेज आवाज मे किसान को घुड़काया गया।। उपस्थित भाजपा कार्यकर्ताओ, समर्थकों ने मिलकर किसान के आवाज को दबाया।आक्रोशित किसानो ने भाजपा प्रत्याशी के विरोध मे तुरंत अपनी प्रतिक्रियास्वरूप कहा कि अभी तो पावर मे नही हो तो इतना गुस्सा ,पावर मे आओगे तो कितना ? ये कहकर तुरंत विरोध जताया ।
किसान कांग्रेस के अनुसार भोलेभाले किसान अपना अपमान नहीं सहेंगे।वे इसका करारा जवाब देंगे।किसान देख रहा है कि कौन उनका हितैषी है।

दो गुने हो चुका है उर्वरक के दाम

किसान कांग्रेस ने कहा है कि वर्ष 2020 से लगातार उर्वरक के दाम मे ववृद्धि हो रही है। यूरिया, डी ए पी ,पोटाश ,सिंगल सुपर फास्फेट सभी के दाम बहुत अधिक बढ़ गए हैं। 850 रू का पोटाश 2000 मे मिलता है इस पर किसान को अपना पक्ष रखने से अपमानित करने वाले भाजपा प्रत्याशी के प्रति जबरदस्त आक्रोश है । भाजपा के प्रत्याशी से किसान हर मंच मे खाद की की मत पर सवाल करेंगे।

कर्ज माफी पर झूठे साबित
हो चुके हैं विजय शर्मा

दो लाख रुपए तक कर्ज माफी की घोषणा विजय शर्मा ने कर दी थी। भाजपा के घोषणापत्र मे कर्ज माफी का वादा नहीं है। चुनाव प्रचार के दौरान विजय शर्मा l लगातार इसी तरह झूठी घोषणाएं करते रहे।

किसी भी सत्ता को उखाड़ फेंकने का वजूद है किसानो मे– देश के आधे से अधिक जनता खेती करती हैं और हर चौथा मतदाता किसान हैं। आज देश में 12 करोड़ परिवार खेती पर निर्भर हैं। यह संख्या देश के कुल परिवारों का 48 फीसदी हैं। देश में कुल मतदान में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी किसानों की होती हैं, जो किसी भी सत्ता को उखाड़ फेंकने का वजूद रखती हैं, इसलिए सभी राजनीतिक दल अपने भाषण के प्रारंभ और अंत में जय-जवान, जय-किसान का नारा लगाना नहीं भूलते।

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