कॉफ्युलंस मिलिट्री एकेडमी नगपुरा ने किया बच्चों के भविष्य के साथ किया खिलवाड़
मिलिट्री शब्द का उपयोग कर लोगों को दिया धोखा,
माध्यमिक शिक्षा मंडल का कोड टीसी में लिखा गलत, अब कही नही हो रहा बच्चों का एडमिशन
दुर्ग। कॉफ्युलंस मिलिट्री एकेडमी वर्ष 2016 से नगपुरा जिला दुर्ग में संचालित किया जा रहा है। छग राज्य माध्यमिक शिक्षा मंडल जिला रायपुर के द्वारा इस स्कूल को हाईस्कूल की मान्यता वर्ष 2018-19 में कॉफ्लुयंस एकेडमी के नाम से मिला था। जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग के द्वारा 05 जुलाई 2018 को इस स्कूल को अपने समस्त दस्तावेजों से मिलिट्री शब्द तत्काल हटाने के लिये निर्देशित किया गया था। इसके बावजूद इस स्कूल के द्वारा बच्चों से कॉफ्लुयंस मिलिट्री एकेडमी के नाम से समस्त शुल्क लिये गये और वर्ष 2019 बच्चों को टीसी और रिजल्ट भी इसी नाम से दिया गया और टीसी में जान-बुझकर के माध्यमिक शिक्षा मंडल का कोर्ड गलत लिखकर दिया गया जिससे अब कई बच्चों को किसी भी स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है और बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे है। इस मामले को लेकर छत्तीसग? पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल के द्वारा वर्ष 2018 से लिखित शिकायत कर इस स्कूल के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया जा रहा है।
गिरवर वर्मा जो धमतरी के निवासी है जिनका पुत्र आशुतोष वर्मा जिन्हें वर्ष 2018 को इस स्कूल में कक्षा नवमी में प्रवेश दिया गया और उनसे 1,62,500 रूपये फीस लिया गया और उन्हें कॉफ्युलंस मिलिट्री एकेडमी के नाम से रसीद दिया गया और पुन: वर्ष 2019 में 1,62,500 रूपये फीस लिया गया और पुन: कॉफ्युलंस मिलिट्री एकेडमी के नाम से रसीद दिया गया। श्री वर्मा का कहना है कि उन्हें विज्ञापन के माध्यम से इस स्कूल की जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने अपने पुत्र आशुतोष वर्मा को कक्षा नवमीं में इस स्कूल में प्रवेश दिलवाया गया, उस समय स्कूल के प्राचार्य के द्वारा उन्हें यह जानकारी दिया गया कि यह मिलिट्री स्कूल है और सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त है, लेकिन वर्ष 2019 में जब इस स्कूल के संबंध में अखबारों में समाचार प्रकाशित हुआ कि यह मिलिट्री स्कूल नहीं है और इस स्कूल को सीबीएसई से बोर्ड की मान्यता प्राप्त नहीं है, जिसके बाद उन्होंने अपने पुत्र को इस स्कूल से निकाल लिया गया, लेकिन उनके पुत्र को जो वर्ष 2019 में टीसी और रिजल्ट दिया गया है उनमें कॉफ्युलंस मिलिट्री एकेडमी अंकित है और सीजी बोर्ड की मान्यता कोर्ड भी गलत अंकित है, जिसके कारण अब उनके पुत्र को पूरे देश के किसी भी प्राईवेट स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।
श्री वर्मा का कहना है कि मामले की अनेकों लिखित शिकायत उनके द्वारा विगत तीन महीनों से कलेक्टर, पुलिस अधिक्षक, शिक्षा सचिव, सीजी बोर्ड सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी और थाना प्रभारी पुलगांव से किया गया, लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है और उनका पुत्र आज भी शिक्षा से वंचित है।
इस मामले में अब उनके द्वारा मा. उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर किया गया है और मा. न्यायालय के द्वारा 17 अक्टूबर को स्कूल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। सूत्र बताते है कि इस स्कूल को मिलीट्री शब्द का उपयोग करने के कारण जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग के द्वारा 1 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया था, लेकिन इस स्कूल ने इस जुर्माने की राशि आज तक डीईओ कार्यालय में जमा नहीं किया है।