21 वर्ष से अधिक और 25 वर्ष से कम उम्र के बीच का निर्वाचित पार्षद नही बन सकता महापौर!
सामाजिक कार्यकर्ता व कांग्रेसी नेता अली हुसैन सिद्दीकी ने बताया कि छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में महापौर एवं पार्षद के रूप में निर्वाचन के नियम में विसंगति है!
छ.ग.नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 12 (ए) में निगम चुनाव में मतदाताओ की अहर्ता उस वर्ष की पहली जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूर्ण किया होना जरूरी है जो व्यक्ति पार्षद के लिए मतदान कर सकता है वो पार्षद पद का चुनाव नही लड़ सकता है क्योंकि वह 21 वर्ष का नही हुवा है,जबकि जो मतदान कर सकता है उसे चुनाव भी लड़ने का अधिकार मिलना चाहिए!
छ.ग.नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 16 (क) में उल्लेखित प्रावधान के अनुसार महापौर के चुनाव लड़ने हेतु न्यूनतम आयु 25 वर्ष निर्धारित है! छ.ग.सरकार के मंत्रिमंडल के समिति के द्वारा दिये गए अनुशंसा के अनुसार अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित पार्षदों में से किसी एक पार्षद को पार्षदों द्वारा महापौर चुना जाना है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि यदी कोई पार्षद 21 वर्ष से अधिक और 25 वर्ष से कम आयु का है तो वह महापौर के निर्वाचन में भाग नही ले सकता है क्योंकि 21 वर्ष का मतदाता तो पार्षद का चुनाव लड़कर पार्षद तो निर्वाचित हो सकता है और महापौर को वोट देकर चुन सकता है, लेकिन 25 वर्ष से कम आयु का निर्वाचित पार्षद चुनाव जीतने के बाद भी महापौर का चुनाव नही लड़ सकता है क्योंकि उसकी आयु 25 वर्ष से कम है!
छ.ग. नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा 16 (ख) के अनुसार पार्षद चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित है और अगर 21 वर्ष से अधिक और 25 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति पार्षद पद पर निर्वाचित होते है तो भी उन्हें महापौर पद पर निर्वाचन में हिस्सा लेने से वंचित रहना पड़ेगा,चूंकि अब पार्षदों के बीच से ही महापौर का निर्वाचन किया जाना है इसलिए जो पार्षदों के निर्वाचन के लिए आयु सीमा तय है वही महापौर के निर्वाचन के लिए आयु सीमा तय किया जाना चाहिए!पार्षद पद के चुनाव में मतदाताओं की आयु सीमा 18 वर्ष तय है,
चुकी 18 से 21 वर्ष के मतदाताओं को पार्षद पद के निर्वाचन में मतदान करने का अधिकार है तो पार्षद पद में चुनाव लड़ने की आयु सीमा में भी संशोधन कर उन्हें भी पार्षद पद हेतु चुनाव लड़ने का अधिकार दिया जाना चाहिए!इन्ही सवालो के साथ अली हुसैन सिद्दीकी ने सरकार से आग्रह किया है कि इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अध्यादेश लाये!