छत्तीसगढ़

भगवान पांव मंदिर, मान्यता के अनुसार श्री शिव जी का पहला कदम इसी पत्थर पर पड़ा था

कवर्धा-पूरे भारत में कई चमत्कारी मंदिर एवम् उनका मान्यता है, अलग अलग मंदिर में ईश्वर का अलग अलग रुप में पूजा पाठ होता आ रहा है, देवी मां के जहां अंग है चरणों के निशान है ओ शक्ति पीठ के नाम से जाना गया वहीं शिव जी का स्थान ज्योतिर्लिंग के रुप में आस्था का केंद्र बना, कवर्धा जिला भी शुरुवात से शिव जी की नगरी के नाम से प्रख्यात है बाबा भोरमदेव को लेकर अनेकों मान्यता है ऐसी मान्यता है की भोरमदेव मंदिर स्वयं

देवताओं द्वारा बनाया गया है , बात करें अगर कवर्धा जिला पंडरिया ब्लाक के कोदवा कला गांव की तो यहां भी ऐसी मान्यता है की जो पांव के निशान हैं ओ स्वयं श्री शिव जी की है यहां के बुजुर्गों का कहना है की जिस पत्थर पर चरणों के निशान है ओ किसी छीनी हथौड़ी से बनाया जैसा प्रतीत नहीं होता ऐसा लगता है जैसे स्वयं श्री शिव जी का प्रथम चरण पृथ्वी पर पड़े तब ओ इसी पत्थर पर खड़े हुवे होंगे, गांव के ऐसे बुजुर्ग है जो 95 वर्ष के होंगे उनका कहना है की हमें भी नहीं पता यह पांव कितना पुराना है लेकिन हमारे पिता जी बताते थे उनको भी नहीं पता और उनके पिता उनके पिता के पिता किसी को नहीं पता की कितनी पुरानी है ऐसी मान्यता है की यह पग हजारों वर्ष पुरानी है अब पुरातत्व विभाग अगर जांच करे या कोई एक्सपर्ट ही जानकारी दे सकता है लेकिन जिस हिसाब से लोगों की मान्यता जुड़ी है ओ सीधे शिव जी से जुड़ी है पुरा गांव शिव जी को अपने गांव का ही मानते है और उनका कहना है की यहां से कोई खाली हाथ नहीं गया भोले नाथ की विशेष कृपा यहां बरसती है

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