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छत्तीसगढ़

एक्सक्लूसिव :- छात्र की जाति बदलने के गंभीर आरोप में निलंबित और दोषी शिक्षिका को आखिर कैसे मिला राज्यपाल शिक्षक सम्मान ? देखिए कैसे जानकारी छिपाकर हथिया लिया जाता है दूसरों का हक !


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एक्सक्लूसिव :- छात्र की जाति बदलने के गंभीर आरोप में निलंबित और दोषी शिक्षिका को आखिर कैसे मिला राज्यपाल शिक्षक सम्मान ? देखिए कैसे जानकारी छिपाकर हथिया लिया जाता है दूसरों का हक !

प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए राज्यपाल शिक्षक पुरस्कार दिया जाता है और इस पुरस्कार के साथ धनराशि और साथ ही साथ एक वेतनवृद्धि का अतिरिक्त लाभ भी मिलता है इसके अतिरिक्त राज्यपाल सम्मान से पुरस्कृत शिक्षक समाज के लिए गौरव ही माना जाता है लेकिन जब इस सम्मान को पाने की नींव ही आंखों में धूल झोंक कर और जानकारी छिपाकर अधिकारियों से मिलीभगत करके तैयार की जाए तो इसे आप क्या कहेंगे ? बीते कई वर्षों से राज्यपाल शिक्षक पुरस्कार की गरिमा कम होने का आरोप हम नही शिक्षक ही लगा रहे हैं क्योंकि जिन शिक्षकों का नाम चयनित हो रहा है उसमें से कई ऐसे हैं जो राज्यपाल तो छोड़िए किसी पार्षद से भी सम्मान पाने के भी हकदार नहीं है लेकिन गठजोड़ और भाई भतीजावाद की राजनीति से शिक्षा विभाग भी अछूता नहीं है । यही वजह है कि ऐसे शिक्षक भी राज्यपाल शिक्षक पुरस्कार पाकर इठला रहे हैं जिनके कार्यकाल की सही तरीके से जांच हो जाए तो पुरस्कार लौटाने की नौबत आ जाएगी । स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम स्कूल सरकंडा जो कि पहले पंडित रामदुलारे दुबे शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला के नाम से जाना जाता रहा है की रसायन विज्ञान की शिक्षिका पूर्णिमा मिश्रा को भी 2019 में राज्यपाल शिक्षक सम्मान पुरस्कार के लिए चयनित किया गया और 2021 में उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया । पुरस्कार के साथ जितने भी लाभ उन्हें दिए जाते हैं वह उन्हें दिए गए लेकिन ताज्जुब की बात है कि जिन अधिकारियों ने उनका नाम प्रस्तावित किया उन्होंने उसके सर्विस बुक को एक बार खंगालना भी उचित नहीं समझा यही वजह है कि जो जानकारी पुरस्कार के लिए नाम प्रस्तावित करते समय भेजी गई उसमें इस बात का कहीं पर जिक्र ही नहीं था कि शिक्षिका जब कोरबा के कुसमुंडा में कार्यरत थी तब उन्हें एक छात्र की जाति को बदलने के प्रकरण में निलंबित किया गया था । जी हां , शिक्षिका पूर्णिमा मिश्रा को इस मामले में आरोपी मानते हुए अधिकारियों ने निलंबित कर दिया था जिसके बाद मामले की जांच हुई और जांच में भी आरोप की पुष्टि हुई जिसके बाद भविष्य के लिए चेतावनी देते हुए शिक्षिका का स्थानांतरण दूसरे स्कूल के लिए किया गया और वहां से अन्यत्र हटाकर गोपालपुर स्कूल में उनकी पदस्थापना की गई । यह सारी जानकारी शिक्षिका के सर्विस बुक में भी लाल अक्षरों में इंद्राज है इसके बावजूद शिक्षिका का नाम प्रस्तावित करते समय इस बात का उल्लेख नहीं किया गया जबकि राज्यपाल और राष्ट्रपति शिक्षक सम्मान पुरस्कार के लिए शिक्षक का चयन करते समय यह अनिवार्य मापदंड होता है की शिक्षक/शिक्षिका का चरित्र निष्कलंक हो और शिक्षक/शिक्षिका को किसी प्रकार का दंड न मिला हो लेकिन यहां तो निलंबित और जांच में दोषी सिद्ध हुई शिक्षिका को राज्यपाल शिक्षक सम्मान पुरस्कार से सम्मानित कर दिया गया । गौरतलब है कि हर साल राज्यपाल शिक्षक सम्मान पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों में से कई शिक्षकों के नाम को लेकर विवाद खड़ा हो रहा है इसके बावजूद विभाग आंख में पट्टी बांधकर बैठे हुए हैं । प्रदेश में ऐसे कई शिक्षक हैं जिन्होंने बीहड़ क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगा रखी है बावजूद इसके उनका नाम ऐसी सूची में शामिल नहीं होता बल्कि उन शिक्षकों का नाम सूची में उनके स्थान पर शामिल हो जा रहा है जिनकी योग्यता को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं । शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना होगा की एक गलत शिक्षक का चयन हजारों सही शिक्षकों के मनोबल को रसातल में ले जाता है । अब देखना होगा कि इस खबर के सामने आने के बाद बिलासपुर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की आंखों की पट्टी खुलती है या नहीं और मामले की निष्पक्ष जांच होती है की नही क्योंकि अधिकांश मामलों में जांच तब शुरू होती है जब उच्च कार्यालय से निर्देश आता है। एनएसयूआई के प्रदेश सचिव विवेक साहू ने बिलासपुर कलेक्टर के पास पूर्णिमा मिश्रा द्वारा स्वयं के निलंबन की जानकारी छिपाकर राज्यपाल पुरुस्कार प्राप्त करने की शिकायत करते हुए नियमानुसार जांच की मांग की है।


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