मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना का शुभारम्भ। बिलासपुर की सभी 483 ग्राम पंचायतों सहित राज्य में योजना आज से लागू। अब ग्रामीण क्षेत्रों के तीज-त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा का होगा संरक्षण। मुख्यमंत्री ने पहली किश्त के रूप में आज योजना के अंतर्गत आने वाली सभी पंचायतों को 5-5 हजार रुपए की किश्त जारी की
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना का शुभारम्भ। बिलासपुर की सभी 483 ग्राम पंचायतों सहित राज्य में योजना आज से लागू। अब ग्रामीण क्षेत्रों के तीज-त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा का होगा संरक्षण। मुख्यमंत्री ने पहली किश्त के रूप में आज योजना के अंतर्गत आने वाली सभी पंचायतों को 5-5 हजार रुपए की किश्त जारी की।
भूपेंद्र साहू।
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
बिलासपुर- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर की 483 ग्राम पंचायतों सहित राज्य में छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना का आज शुभारंभ किया। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अरूण सिंह चौहान, कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सहित चारों जनपदों से बड़ी संख्या में लोग वर्चुअली शुभारंभ समारोह में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने योजना के शुभारंभ अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास में यहां की संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का काम अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य में तीजा, हरेली, भक्तिन महतारी कर्मा जयंती, मां शाकंभरी जयंती (छेरछेरा), छठ और विश्व आदिवासी दिवस जैसे पर्वाे पर सार्वजनिक अवकाश दिया जा रहा है राज्य शासन की यह भावना है कि तीज-त्यौहारों के माध्यम से नयी पीढ़ी अपने पारंपरिक मूल्यों से संस्कारित हो और अपनी संस्कृति पर गौरव का अनुभव करे। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, युवा महोत्सव, छत्तीसगढ़िया ओलंपिक, बासी-तिहार जैसे आयोजनों के पीछे भी हमारा यही उद्देश्य है। लोक-संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से ही देवगुड़ियाँ और घोटुलों के विकास का काम भी किया जा रहा है। राज्य शासन द्वारा प्रदेश के सामुदायिक विकासखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों के तीज त्यौहार, संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि‘ योजना प्रारंभ की गई है। मुख्यमंत्री द्वारा आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के गैर-अनुसूचित ग्रामीण क्षेत्रों के तीज-त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करना और इन त्यौहारों, उत्सवों का मूल स्वरूप में आगामी पीढ़ी को हस्तांतरण तथा सांस्कृतिक परंपराओं का अभिलेखन करना है। सामुदायिक क्षेत्रों के गांवों में स्थानीय उत्सवों, त्यौहारों, मेला-मड़ई का विशेष महत्व रहता है।
ऐसे सभी उत्सवों, त्यौहारों, सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत को राशि उपलब्ध करायी जाएगी। योजना की ईकाई ग्राम पंचायत होगी। जिलेे के प्रत्येक ग्राम पंचायत में यह योजना लागू होगी। ग्राम पंचायत को दो किश्तों में 10-10 हजार रूपए दिए जाएंगे। योजना के क्रियान्वयन के लिए ग्राम पंचायत स्तरीय शासी निकाय समिति का गठन किया जाएगा। इसमें सरपंच (अध्यक्ष), पुजारी, बैगा सदस्य, ग्राम के 02 बुजुर्ग सदस्य, ग्राम की दो महिला सदस्य, ग्राम कोटवार, पटेल सदस्य एवं ग्राम सचिव को शामिल किया गया है।
योजना के क्रियान्वयन के लिए ग्राम पंचायत स्तरीय शासी निकाय समिति के सदस्यों को मार्गदर्शन जनपद पंचायत स्तर से दिया जाएगा, जिससे राशि का समुचित उपयोग किया जा सके। गांव के किस-किस तीज त्यौहार के लिए इस राशि का उपयोग किया जायेगा, इसका निर्धारण ग्राम पंचायत स्तरीय शासी निकाय समिति द्वारा किया जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन की निगरानी, समन्वय संबंधी कार्य जनपद स्तरीय शासी निकाय द्वारा किया जाएगा।