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आज माता रानी का कातय्यानी देवी के रूप में षष्ठी को होती है पूजा

आज माता रानी का कातय्यानी देवी के रूप में षष्ठी को होती है पूजा ।

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पण्डित देव दत्त शर्मा
सहसपुर लोहारा

आज 04 : 10 : 2019 शुक्रवार को परमहंसी गङ्गाआश्रम झोतेश्वर गोटेगांव में विराजमान माता ललिताम्बा त्रिपुरसुंदरी जी का आज मोर पंख एवं विभिन्न आभूषणों से श्रृंगार किया गया है ।

 

ज्योतिष एवं द्वरका शारदा पिठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज श्री नवरात्र में कर रहे हैं महानिशा पूजन । नवरात्र की षष्ठी को मां भगवती दुर्गा जी को कात्यायनी नाम से पूजा जाता है ।
ये बैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट हो कर पूजी गई !
भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी । यह पूजा कालिंदी नामक यमुना तट पर की गई थी , इसलिए माता ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं । कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की , कठिन तपस्या की । उनकी इच्छा थी कि उन्हें माता पुत्री के रूप में प्राप्त हो ।
माँ भगवती ने पुत्री के रूप में कात्यायन ऋषि के यहाँ जन्म लिया , इसलिए देवी कात्यायना कहलाने लगी इनका वाहन सिंह है । इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे होते है ।
परमभक्तिसिद्धिदात्रीनमोअस्तुते !!
माँ कात्यायनी की उपासना कर उपासक की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती है ।
इसलिए हम सभी को मिलकर माता की आराधना पवित्रता एवं शुद्धता पूर्वक निष्काम भाव से करनी चाहिए ।
अखंड ब्रम्हांड नायिका माँ ललिताम्बा जगतजननी राजराजेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी माँ शारदाम्बा महारानी जी का मोहक अनुपम मोरपंख , आभूषण आदि से किया गया है मनोहारी श्रृंगार ।
माता का भव्य मंदिर परमहंसी गङ्गाआश्रम झोतेश्वर श्रीधाम, गोटेगोव ,जिला – नरसिंहपुर में स्थापित है जो जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती के आश्रम में स्थित है ।

 

 

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