समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ ने कराया 51 बटुकों का उपनयन संस्कार.
आज पुरानी बस्ती स्थित श्री महामाया देवी मंदिर सत्संग भवन में विप्र सामाजिक संस्था समग्र ब्राह्मण परिषद् छत्तीसगढ़ द्वारा प्रदेश स्तरीय सामूहिक उपनयन संस्कार के अंतर्गत 51 ब्राह्मण बटुकों का उपनयन संस्कार कराया गया. पारंपरिक विधि विधान से प्रारंभ हुये इस कार्यक्रम में सबसे पहले तेलमाटी, मंडपाच्छादन, हरिद्रालेपन, चिकट, मातृका पूजन हुआ इसके बाद उपनयन संस्कार के लिये उपस्थित सभी बटुकों का मुंडन करवाया गया तत्पश्चात् संस्कार के अंतर्गत अष्ट ब्राह्मण भोज, आचार्यों द्वारा दीक्षा, शिक्षा देने के बाद बटुकों ने भिक्षा मांगी. संस्कार प्रक्रिया संपन्न होने के बाद सभी बटुकों को नये वस्त्र धारण कराया गया तथा महामाया देवी मंदिर परिसर से प्राचीन बावली वाले श्री हनुमान मंदिर तक धूमधाम से गाजे-बाजे के साथ उनकी बारात निकाली गयी.
ऐसा कहा जाता है कि जब बालक ज्ञान हासिल करने योग्य हो जाए तो उसका सर्वप्रथम उपनयन संस्कार कराना चाहिए.
हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों का विधान है. उनमें एक उपनयन संस्कार है. इस संस्कार से बालक के मन में अध्यात्म चेतना जागृत होती है. ऐसा कहा जाता है कि जब बालक ज्ञान अर्जन योग्य हो जाता है, तब उपनयन संस्कार किया जाता है. खासकर ब्राह्मणों में इस संस्कार का अति विशेष महत्व है, कालांतर से इस संस्कार को विधि-पूर्वक निर्वाह किया जा रहा है.
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डा.भावेश शुक्ला “पराशर” एवं आयोजन प्रभारी श्रीमती प्रमिला तिवारी द्वारा जानकारी दी गयी कि संगठन द्वारा लगातार उपनयन संस्कार का यह द्वितीय वर्ष है, यज्ञोपवीत संस्कार के मूल रूप को अगर देखा जाए तो हमें यह देखने को मिलता है कि जीवन के सबसे पहले चरण शिक्षा की शुरुआत है. आज के समय में हम इसकी तुलना विद्यालय जाने की शुरुआत से कर सकते हैं। जिस प्रकार आज हम विद्यालय में अपने गुरुओं से शिक्षा प्राप्त करने से प्रवेश प्रक्रिया पूरी करते हैं ठीक उसी प्रकार गुरूकुल में प्रवेश करने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता था। इसका उद्देश्य छात्र जीवन में व्यक्ति को नियमों का पालन करना और दृढ़निश्चयी बनाना होता था.
पिछले वर्ष 63 ब्राह्मण बटुकों का उपनयन संस्कार संपन्न हुआ था. इस वर्ष भी प्रदेश के कोरबा, बिलासपुर, राजनांदगांव आदि विभिन्न जिलों से आये ब्राह्मण बटुकों का उपनयन संस्कार कराया गया है.
कार्यक्रम में मंच संचालन श्रीमती आरती शुक्ला तथा श्रीमती पद्मा दीवान ने किया. इस आयोजन में डा.श्रीमती आरती उपाध्याय, श्रीमती कालिंदी उपाध्याय, श्रीमती स्वाति मिश्रा, श्रीमती खुशबू शर्मा, श्रीमती नमिता शर्मा, पं.शैलेन्द्र रिछारिया, पं.विवेक दुबे, पं.रोशन शर्मा, पं.सजल तिवारी, पं.दीपक शुक्ला, पं.अनुराग त्रिपाठी, पं.संजय शर्मा, पं.अखिलेश त्रिपाठी, पं.गौरव मिश्रा, पं.गोपालधर दीवान, पं.श्रीकांत तिवारी, पं.उमाकांत तिवारी, पं.शैलेन्द्र शर्मा, पं.कमलेश तिवारी का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ.
प्रात: 8 बजे से सायं 6 बजे तक चले इस आयोजन में पं.रामानुज तिवारी, पं.प्रेमशंकर शुक्ला, पं.निरंजन पांडेय, श्रीमती शशि द्विवेदी, श्रीमती आंचल शुक्ला, पं.नीरज मिश्रा, पं.समीर शुक्ला, पं.रुपेश शुक्ला, पं.कृष्ण कुमार पांडेय, पं.शैलेन्द्र दुबे, पं.सौरभ उपाध्याय सहित छत्तीसगढ़ प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के संगठन प्रतिनिधि उपस्थित थे.