पण्डरिया में आई ट्रेन चलती ट्रेन देख भी नही रुके लोग
*पण्डरिया में आई ट्रेन चलती ट्रेन देख भी नही रुके लोग*
नगर के गांधी चौक में ट्रेन को देख लोग हुए आष्चर्य ट्रेन की माँग जहा बरसो से हो रही है आज नगर वासी उसे जाते देखा।
कुछ स्तब्ध थे कुछ उमंग कुछ हतास थे तो कुछ चिंतन में क्षण भर के लिए ऐसा लगा की ये दौड़ने वाली है। परंतु ट्रेन तो खुद ही लदा हुआ था जैसे की लोगो की एक आस लदती है।
हाँ यह देख चिंतन भी गहरा हुआ की क्या वास्तविक में नगर वासियों को ये सुविधाएं मिलेगा।
जहाँ एक स्वर में आवाज उठती की दौड़ेगा पर अब शीतल सी हर आवाज पड़ गयी है।
आँखों ने एक टक देखा हा ये तो ट्रेन ही थी पर कानो ने छुक छुक छुक छुक की आवाज नही सुनी।
अब आँख से देखा हुआ भी चीज कभी असत्य हो सकता है।
हमने तो सूना ही था महानगरों में पटरी पर दौड़ती हुई रेलों की आवाज।
*पर वर्तमान में गूंजती हुई कोलाहल के मध्य शायद सुनाई ही नही दिया हो कुछ को रेल की आवाज।*
पर ये भी समाज के लिए अजीब विडम्बना है लोगों को सपने दिखाने और देखने की आदत अजीब है लोग कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
पर अब भी इंतिजार है की ट्रेन आयेगी…!