सिरपुर कि पावन भूमि में अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में सिरपुर बौद्ध महोत्सव 2023 एवं प्रदेश स्तरीय अधिकारी कर्मचारी विशाल परिवारिक मैत्री मिलन व सम्मान समारोह का आयोजन।
सिरपुर कि पावन भूमि में अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में सिरपुर बौद्ध महोत्सव 2023 एवं प्रदेश स्तरीय अधिकारी कर्मचारी विशाल परिवारिक मैत्री मिलन व सम्मान समारोह का आयोजन।
भूपेंद्र साहू.
ब्यूरो चीफ बिलासपुर.
सिरपुर कि पावन भूमि में अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में सिरपुर बौद्ध महोत्सव 2023 एवं प्रदेश स्तरीय अधिकारी कर्मचारी विशाल परिवारिक मैत्री मिलन व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य समाजिक परम्परा के तानेबाने को सहेजने और ऐतिहासिक पुनर्पाठ को संजोने के लिए कुछ समाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम होने चाहिए। इसी तारतम्य में देश कि धरोहर को बचाने और उस पर गर्व करने के लिए ऐसे महाआयोजन महोत्सव होना चाहिए।कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा सम्बोधित करते हुए बताया गया॥
सिरपुर का बौद्ध इतिहास
सिरपुर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले के महासमुंद तहसील में स्थित एक ऐतिहासिक धरोहर है। यह महानदी के तट पर बसा हुआ एक ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल है। राजधानी रायपुर से 85 किलोमीटर दूर दक्षिण कौशल कि प्राचीन राजधानी माना जाने वाला सिरपुर भारत में अब तक ज्ञात सबसे बड़ा बौद्ध स्थल है। जहां खुदाई के दौरान बौद्ध काल के कई प्राचीन मुर्तियां प्राप्त हुई है।
सिरपुर और गुरु परमपूज्य गुरुघासीदास का संबंध॥
गोंडवाना शम्भु द्वीप कि श्रमण परंपराओं कि धारा में गौतम बुद्ध एक ऐतिहासिक आधार स्तम्भ है। इसी परम्परा को संतमाता कर्मा, कबीर साहेब, रैदास जी ने आगे बढ़ाया। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में उसी परम्परा के वाहक परमपूज्य गुरुघासीदास रहे। जिसने सतनाम पंथ कि स्थापना कर मानवीय समता, समानता और बंधुत्व कि स्थापना किया। जैसा कि हम जानते हैं कि सिरपुर परमपूज्य गुरुघासीदास कि पत्नी माता सफुरा का मायके रहा है।
सिरपुर और आदिवासी संस्कृति॥
बौद्ध विरासत सिरपुर के 50 किलोमीटर तक फैले हुए हैं जहां आदिवासी बड़ी संख्या में निवास करते हैं। सोनाखान के जमींदार राजाराम मोहन राय और उनके पुत्र शहीद वीरनारायण सिंह का सम्राज्य रहा। गोंड आदिवासी बुढा़ देश (बुद्धा देव) को अपना इष्ट देव मानते हैं। जो श्रमण परंपराओं के वाहक है।
इस कार्यक्रम में बिलासपुर जिले के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र से बड़ी संख्या में अधिकारी कर्मचारी व बहुजन चिंतक सम्मिलित हुए जिसमें भूपेंद्र बौद्ध, बलराम पोर्ते, योगेन्द्र बंजारे, लक्ष्मण बंजारे, बी.पी. टोडर, अमर मरावी, परदेशी राम बघेल, चन्द्र कुमार खांडे, विनित मन्नाडे, नानदाऊ भारती बड़ी संख्या में सपरिवार सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम के समापन के अवसर पर बहुजन समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले को पुरस्कार से सम्मान किया गया।