बीएसपी की संपत्ति के कुर्की के मामले मेंं बीएसपी को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं
कुर्की रोकने न्यायालय ने नही दिया स्थगन आदेश
भिलाई। नगर निगम भिलाई में वर्ष 2016-17 और 2017- 18 एवं 2018-19 के संपत्ति कर की गणना के लिए बीएसपी द्वारा भरे गए स्व विवरण में बहुत ही संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया गया था। नगर निगम भिलाई द्वारा स्व विवरणी की जांच में यह जानकारी सामने आए। इस संबंध में बीएसपी को कई बार नोटिस दी गई। तथा स्व विवरणी को ठीक करने भी कहा गया। किंतु प्रारंभ में बीएसपी ने इस पर ध्यान नहीं दिया तथा नगर निगम को संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया। नोटिस में उल्लिखित समय सीमा निकल जाने के बाद नगर निगम भिलाई ने अधिनियम में उपलब्ध प्रावधानों के आधार पर कुर्की वारंट जारी कर दिया तब बीएसपी उच्च प्रबंधन की आंखें खुली और फिर इन्होंने लगातार कुर्की वारंट की कार्यवाही को निरस्त करने का प्रयास प्रारंभ कर दिया जिसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य शासन के सचिव जिला कलेक्टर दुर्ग तथा महापौर से मुलाकात भी की महापौर देवेंद्र यादव ने इस संबंध में बीएसपी से चर्चा भी की थी तथा विस्तार से संपत्ति कर की गणना को पुनर्विलोकन करवाने की भी सहमति दी थी। लेकिन इसी बीच बीएसपी में इस संबंध में न्यायालय की शरण ले ली। बीएसपी की ओर से उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर नगर निगम द्वारा आरोपित संपत्ति कर एवं वसूली हेतु जारी कुर्की वारंट को चुनौती दी है। कुर्की की प्रक्रिया को रोकने हेतु स्थगन की मांग भी की थी। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि नगर निगम भिलाई में जब कुर्की वारंट जारी किया था। उसी समय उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष केविएट दायर कर दिया था। जिसके कारण बीएसपी द्वारा प्रस्तुत याचिका में नगर निगम भिलाई को अपना पक्ष रखने का अवसर न्यायालय द्वारा प्रदान किया गया। 27 सितंबर को उच्च न्यायालय बिलासपुर में दोनों पक्षों के बहस सुनने के बाद अंतरिम आदेश पारित करने हेतु आगामी 22 अक्टूबर की तिथि नियत की है तथा कुर्की वारंट के क्रियान्वयन को रोकने हेतु कोई स्थगन आदेश पारित नहीं किया है। अब यह देखना है कि इस स्थिति में नगर निगम भिलाई क्या कदम उठाती है तथा क्या बीएसपी के उच्चाधिकारी अभी भी प्रकरण को आपसी बातचीत से निपटाने का प्रयास करेंगे।