छत्तीसगढ़

12-15 अक्टूबर तक जारी रह सकती है राज्य में बारिश

12-15 अक्टूबर तक जारी रह सकती है राज्य में बारिश
सबका संंंदे न्यूूू छत्तीसगढ़   रायपुर- सम वैज्ञानिक- सावधानी बरतें तो किसानों को नहीं होगा नुकसान
रायपुर छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के विभिन्न (various) इलाकों (regions) में हल्की बारिश (rain) का दौर बदूस्तर जारी है और इसके 12 से 15 अक्टूबर तक (till 12-15 october) ऐसे ही चलते रहने के (continue like this) आसार (possibility) है। यह बारिश (rain) खेती (agriculture) के लिहाज से अच्छी भी है और थोड़ी चिंता पैदा करने वाली भी है। खासकर धान की फसल के लिए, क्योंकि हल्के किस्म का धान (paddy) 10-15 दिन में कटने को आ जाएगा। वहीं भारी धान को अब भी सिंचाई की आवश्यकता है।
प्रदेश में बारिश (rain) का यह दौर कब तक चलता रहेगा और किसानों के लिए यह कोई मुसीबत तो नहीं खड़ी कर देगा। बातचीत में यह बात निकलकर सामने आई कि इस बार 12 से 15 अक्टूबर तक छत्तीसगढ़ में ऐसी ही बारिश (rain) का सिलसिला जारी रह सकता (can continue) है लेकिन तब तक हल्का धान भी पूरी तरह से काटने लायक नहीं होगा। थोड़ी सावधानी बरतें तो किसानों को नुकसान नहीं होगा।

15 अक्टूबर के आस-पास ही विदा होता है मानसून : बैस
रायपुर मौसम केंद्र के वैज्ञानिक आरके बैस ने कहा कि छत्तीसगढ़ से मानसून (monsoon) 15 अक्टूबर के आसपास विदा होता है। इस बारिश को रिटर्निंग मानसून की बारिश कह सकते हैं, जो कहीं कहीं देखने को मिलती है। अभी मानसून की विदाई का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में अभी हो रही बारिश (rain) को असामान्य नहीं कहा जा सकता।

बैस के मुताबिक छत्तीसगढ़ में इस बारिश से फसलों को नुकसान की आशंका नहीं है। क्योंकि इस बार मानसून देरी से आने से बुआई में देरी हुई है। धान की भी बात करें तो नवरात्र के बाद बारिश में कमी देखने को मिलेगी, जिससे हल्का धान (paddy) उगाने वालों को राहत मिल जाएगी। हालाँकि उन्हें थोड़ी सतर्कता बरतनी होगी। उन्होंने 24 घंटे में उत्तर छत्तीसगढ़ मेंं गरज के साथ बूंदा बांदी भी होने की बात कही। बैस ने यह भी कहा कि उत्तरी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश से सटे भाग में कम दबाव का क्षेत्र बना होने से छत्तीसगढ़ में बारिश हो रही है।
12-15 अक्टूबर तक जारी रह सकती है राज्य में बारिश– सावधानी बरतें तो किसानों को नहीं होगा नुकसान
 विभिन्  इलाकों में हल्की बारिश  का दौर बदूस्तर जारी है और इसके 12 से 15 अक्टूबर तक  ऐसे ही चलते रहने के आसार है। यह बारिश खेती  के लिहाज से अच्छी भी है और थोड़ी चिंता पैदा करने वाली भी है। खासकर धान की फसल के लिए, क्योंकि हल्के किस्म का धान 10-15 दिन में कटने को आ जाएगा। वहीं भारी धान को अब भी सिंचाई की आवश्यकता है।

वैज्ञानिकों से जानना चाहा कि प्रदेश में बारिश  का यह दौर कब तक चलता रहेगा और किसानों के लिए यह कोई मुसीबत तो नहीं खड़ी कर देगा। बातचीत में यह बात निकलकर सामने आई कि इस बार 12 से 15 अक्टूबर तक छत्तीसगढ़ में ऐसी ही बारिश (rain) का सिलसिला जारी रह सकता (can continue) है लेकिन तब तक हल्का धान भी पूरी तरह से काटने लायक नहीं होगा। थोड़ी सावधानी बरतें तो किसानों को नुकसान नहीं होगा।

15 अक्टूबर के आस-पास ही विदा होता है मानसून : बैस
रायपुर मौसम केंद्र के वैज्ञानिक आरके बैस ने कहा कि छत्तीसगढ़ से मानसून (monsoon) 15 अक्टूबर के आसपास विदा होता है। इस बारिश को रिटर्निंग मानसून की बारिश कह सकते हैं, जो कहीं कहीं देखने को मिलती है। अभी मानसून की विदाई का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में अभी हो रही बारिश (rain) को असामान्य नहीं कहा जा सकता।

बैस के मुताबिक छत्तीसगढ़ में इस बारिश से फसलों को नुकसान की आशंका नहीं है। क्योंकि इस बार मानसून देरी से आने से बुआई में देरी हुई है। धान की भी बात करें तो नवरात्र के बाद बारिश में कमी देखने को मिलेगी, जिससे हल्का धान (paddy) उगाने वालों को राहत मिल जाएगी। हालाँकि उन्हें थोड़ी सतर्कता बरतनी होगी। उन्होंने 24 घंटे में उत्तर छत्तीसगढ़ मेंं गरज के साथ बूंदा बांदी भी होने की बात कही। बैस ने यह भी कहा कि उत्तरी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश से सटे भाग में कम दबाव का क्षेत्र बना होने से छत्तीसगढ़ में बारिश हो रही है।

छग से पहले विदा लेगा मानसून, न घबराएं किसान : फडके
वहीं प्रादेशिक मौसम केंद्र, नागपुर (इसीके अंतर्गत रायपुर का मौसम केंद्र आता है) 10-12 सितंबर तक इसकी विदाई (farewell) की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी। पहले मानसून छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) से विदा होगा और बाद में विदर्भ और मध्य भारत के अन्य हिस्सों से। थोड़ी सावधानी बरतें तो किसानों के लिए घबराने वाली कोई बात नहीं है। फडके ने कहा कि यह सही है कि इस साल मानसून थोड़ा देरी से विदा हो रहा है। आम तौर पर यह सितंबर के अंतिम या अक्टूबर के पहले सप्ताह में चला जाता है। लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि इस साल यह आया भी तो देरी से ही।

लेकिन इसमें असाधारण वाली कोई बात नहीं है। मौसम के इस काल को ट्रांसमिशन पीरियड कहा जाता है, जब मौसम एक ऋतु से दूसरी ऋतु में दस्तक देता है। इस पीरियड मेंं ऐसी हल्की बारिश होती है। यह खासकर उन इलाकों में होती है, जहां दिनभर गर्मी लगती है। ऐसी जगह आद्रता की वजह से शाम को बारिश होती है। इस बार विंड पैटर्न मेंं बदलाव न होने के कारण भी मानसून का असर बना हुआ है। हालांकि फडके ने यह भी कहा कि दीपावली के आसपास बंगाल की खाड़ी में लोकल वेदर डिस्टरबंस केे कारण फिर बारिश हो सकती है। लेकिन यह तेज नहीं होगी।

अक्टूबर में उत्तर व मध्य भारत में बारिश असामान्य : कात्याल
वहीं भारतीय मौसम विभाग, के पूर्व डायरेक्टर 

भारत से मानसून (monsoon) की विदाई 15 सितंबर से शुरू हो जाती है, फिर यह सिलसिला देशभर में शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार उत्तर भारत में भी बारिश (rain) का दौर जारी है। कात्याल ने इसके पीछे विंड पैटर्न को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में अब भी इस्टर्न विंड आ रही है, जबकि अब वहां वेस्टर्न विंड का दौर शुरू हो जाना चाहिए। वेस्टर्न विंड मानसून को पीछे धकेेलती है उसे सक्रिय नहीं होने देती।

कात्याल ने उत्तर व मध्य भारत में इस साल देर तक हो रही बारिश (rain) को लेकर आश्चर्य भी जताया और इसे असामान्य बताया है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर व नवंबर माह में दक्षिण में बारिश हो तो समझ आता है। वहां अक्टूबर व नवंबर को ही बारिश (rain) के माह के रूप में देखा जाता है। तमिलनाडू में अक्टूबर व नवंबर माह मेंं अच्छी बारिश (rain) होती है। लेकिन यदि अक्टूबर में उत्तर व मध्य भारत में बारिश होती है तो इसे असामान्य ही कहा जाएगा।

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