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अपने 100जन्मोंत्सव में हीरा बेन ने कही थी कि काम करो बुद्धि से जीवन जियो शुद्धि से

*भावभीनी श्रद्धांजली । ममता भरने वाली हीरा बा की जीवन का अंत ।*

*अपने 100जन्मोंत्सव में हीरा बेन ने कही थी कि काम करो बुद्धि से जीवन जियो शुद्धि से ।*

*मां हीराबेन मोदी का 100 -वर्ष की उम्र में निधन ।*

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बांध यानी कि हीराबेन मोदी का निधन हो गया हैं , उन्होनें इसी साल जून में अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश किया था।उनकी तबीयत कुछ दिनों से खराब होने के बाद हीराबेन अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती थीं । प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां से मिलने के लिए अहमदाबाद के अस्पताल भी गए थे । हीराबेन मोदी की उम्र 100 वर्ष थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके अपनी मां के निधन की जानकारी दी हैं । पीएम ने ट्वीट करके लिखा हैं कि”शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की हैं, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा हैं ! आगे उन्होनें लिखा हैं कि ” मैं जब उनसे 100 वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती हैं कि કામ કરો બુદ્ધિથી, જીવન જીવો શુદ્ધિથી ••••”यानि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से ।”

*हिंदू मान्यता के अनुसार मनुष्य का पुनर्जन्म होता हैं ।कर्मयोगी मां हर दम लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी ।*

हिंदू मान्यता के अनुसार व्यक्ति की वास्तव में कभी मृत्यु नहीं होती,पुनर्जन्म होता हैं । कर्मयोगी पुत्र के कर्मयोगी मां का जन्म 18 जून , 1923 को मेहसाणा में हुआ था । हीराबेन की शादी दामोदरदास मूलचंद मोदी से हुई थी । दामोदरदास तब चाय बेचा करते थे. हीराबेन और दामोदरदास की 6 संतानें हुईं। नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर थे। हीराबेन और दामोदरदास की दूसरी संतानें हैं – अमृत मोदी, पंकज मोदी, प्रह्लाद मोदी, सोमा मोदी और बेटी वसंती बेन हंसमुख लाल मोदी। हीराबेन ताउम्र संघर्षशील महिला रहीं. पीएम मोदी कई बार अपनी मां के संघर्षों का भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं। साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपने मां के संघर्षों को याद किया था. तब उन्होंने कहा था कि , ‘मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं.’ तब मां की तकलीफों को याद करते हुए पीएम मोदी भावुक हो रो पड़े थे ।

*हीराबेन की जीवन यात्रा ।*

पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने हीराबेन के 100- वें वर्ष में प्रवेश करने पर आजतक के साथ बातचीत में अपनी मां की जीवन की कहानी साझा की थी । प्रह्लाद मोदी ने बताया था कि उनकी मां जब मात्र 6 महीने की थी तब उनकी नानी उन्हें छोड़कर चल बसीं थीं । उनका संघर्ष तो इतिहास ही जानता है. प्रह्लाद मोदी ने कहा कि मेरी नानी के गुजर जाने के बाद उनके नाना ने दूसरी शादी की । फिर उनसे जो बच्चे हुए उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी भी हीरा बा पर ही थी. वे कहते हैं कि उनकी मां छोटी उम्र में ही मां बन चुकी थीं. भाग्य को इससे ही संतोष न था । नाना जी की दूसरी पत्नी गुजर गईं, फिर उन्होंने तीसरी शादी की । उनसे बच्चे हुए । उनका जिम्मा भी हीराबेन पर ही आया. फिर उन्होंने अपने बच्चों को भी पाला. इसके बावजूद उन्हें अपनी जिंदगी से शिकायत न रही ।

*जब हीरा बा ने किया था चोरों का सामना ।*

प्रह्लाद मोदी एक किस्सा सुनाते हुए कहते हैं कि उनकी मां उन्हें बताया करती थी कि वे जिस मकान में रहती थीं, उसकी दीवार गिरी हुई थी. वो सो रही थीं, उनके बगल में ही उनकी छोटी बहन थी. तभी चोर आ गए. उनके हाथ में हथियार थे । लेकिन तब मां खड़ी हो गई और चोरों का मुकाबला किया फिर चोरों को भागना पड़ा था।

*क्यों मजबूत थीं हीरा बा, बेटे प्रह्लाद ने बताया ।*

प्रह्लाद मोदी ने आजतक के साथ बातचीत में इस रहस्य का भी खुलासा किया था कि उनकी मां इतनी मजबूत कैसे थीं । उन्होंने कहा था कि ये वडनगर की तासीर है. वडनगर में एक ही कुआं था, जिससे सभी लोग पानी लाकर खाना बनाते थे । जिस खेत में वो कुआं था उसके मालिक का नाम था मोगा जी ठाकुर । वो पानी के लिए किसी को मना नहीं करते थे। वहां से हर महिला दो घड़ा पानी सिर पर उठाकर लाती थी. गांव के प्रवेश द्वार से हमारा घर 15 फीट की ऊंचाई पर था । मां रोज दो बार पानी लाती थी और चढ़ाई चढ़कर अपने घर पहुंचती थीं. कुएं से पानी निकालने के लिए 100 हाथ रस्सी खींचनी पड़ती थी. इसलिए उनके हाथ-पांव मजबूत थे। पीएम मोदी के भाई बताते हैं कि मां कपड़े धोने के लिए तालाब जाती थीं, फिर घर के काम करती थीं, दूसरे घरों में काम करती थीं। इस तरह उनका शरीर काफी मजबूत रहा. उन्होंने पूरा जीवन मेहनत करके बिताया. आलस्य शब्द उनके जीवन में नहीं था।

*जब मां ने बड़े भाई की पिटाई की थी ।*

प्रह्लाद मोदी बताते हैं कि उनकी मां पढ़ी लिखी नहीं थीं, उन्होंने स्कूल देखा ही नहीं था । फिर भी उनमें बच्चों को पढ़ाने की जिज्ञासा थी. वो हमें हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती थीं। प्रह्लाद मोदी कहते हैं कि एक बार उनके बड़े भाई कहीं से कुछ चीज ले आए, वे बालक थे और उन्हें पता नहीं था कि उन्होंने चोरी की । लेकिन जब वो घर आए तो मां ने डंडा लिया और उनकी पिटाई करते हुए वे जहां से लाए थे, वहां तक ले गईं और उस सामान को वापस करवाया. प्रह्लाद मोदी कहते हैं संस्कार देने की जो कला है, ये कला माता दे सकती हैं और हमारी मां से हमें ये मिली है. मां के स्वभाव में बेइमानी बिल्कुल नहीं थी।

*सप्ताह में 5 दिन बाजरे की रोटी और कढ़ी ।*

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा के घर में गरीबी का जो आलम था, वहां उन्हें अपने बच्चों को सप्ताह में 5 दिन कढ़ी और बाजरे की रोटी खिलानी पड़ती थी. कढ़ी में थोड़ा बेसन डाला जाता था, छाछ तब मुफ्त मिलता था, इसमें एक बैगन डालते थे और फिर इसी से पूरा परिवार खाता था. मां के पास परिवार का पूरा अर्थशास्त्र था, वे जानती थीं कि कैसे एक रुपया, पांच रुपया या फिर बिना पैसे के पूरा परिवार चलाना हैं।

*पंकज मोदी के साथ रहती थीं हीरा बा ।*

हीराबेन अभी अपने बेटे पंकज मोदी के साथ गुजरात के गांधीनगर में रहती थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां के साथ इसी साल 4 दिसंबर को मिले थे जब वह गुजरात चुनाव प्रचार के सिलसिले में राज्य में थे. तबीयत खराब होने के बाद वह मां से मिलने बुधवार को अहमदाबाद भी गए थे। हीराबेन के निधन के साथ पीएम मोदी की जिंदगी का एक भावुक अध्याय बंद हो गया है. वो अध्याय जहां एक संतान मां की आंचल में लिपटकर मां की ममता को महसूस करती हैं ।
भावभीनीं श्रध्दांजली अर्पित करता हैं हीरा बेन के श्री चरणों में नमन् ।

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