छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

स्थानीय कंपनी व ठेकेदार को काम देने की पुरानी परंपरा का पालन करे प्रबंधन

भिलाई । एचएमएस से संबद्ध भिलाई श्रमिक सभा के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने भिलाई इस्पात संयंत्र में बाहरी कंपनी और ठेकेदारों के बढ़ते वर्चस्व को स्थानीय हित और रोजगार के लिहाज से चिंता का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि बाहरी कंपनी और ठेकेदारों के रिवर्स ऑक्शन में काम लेकर बीच में अधूरा छोड़ देने की प्रवृत्ति से संयंत्र को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं काम के गुणवत्ता मानकों पर भी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। इसलिए जरूरी है कि संयंत्र प्रबंधन स्थानीय कंपनी और ठेकेदारों को काम देने की पुरानी परंपरा का पालन पुन: करे।
वरिष्ठ श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने बताया कि प्रतिस्पर्धा के दौर में भिलाई इस्पात संयंत्र में बाहरी कंपनी और ठेकेदारों को कुछ अधिकारियों के मिलीभगत से काम दिया जा रहा है। वर्तमान में ओडिशा, बिहार , झारखंड, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, पूणे, मुंबई और कोलकाता आदि से कंपनी और ठेकेदार भिलाई इस्पात संयंत्र में काम कर रहे हैं। ऐसे कंपनी और ठेकेदार रिवर्स ऑक्शन में काम तो ले लेते हैं। लेकिन ज्यादातर कंपनियों और ठेकेदारों के बीच में ही काम छोड़कर भाग जाने से संयंत्र को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन बाहरी कंपनी और ठेकेदारों के काम में गुणवत्ता की अनदेखी होती है, साथ ही कर्मचारी और मजदूरों का भरपूर शोषण भी होना आम बात सी होकर रह गई है।

उन्होंने कहा कि संयंत्र में पहले बंद लिफाफे के माध्यम से किसी भी काम के लिए निविदा आमंत्रित की जाती थी। जिसमें न्यूनतम दर वाले कंपनी या ठेकेदार को काम दिया जाता था। वहीं अधिकारी काम के गुणवत्ता मानकों पर नजर रखते थे। लेकिन आज के कुछ अधिकारियों को काम के गुणवत्ता से कोई मतलब नहीं रह गया है। कुछ वर्षों पूर्व तक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से बड़ी बड़ी कंपनिया और ठेकेदार काम लेकर समय पर उसे पूरा कर देते थे। आज भी छत्तीसगढ़ में ऐसे कंपनी और ठेकेदारों की कमी नहीं है जो संयंत्र में काम करने की क्षमता रखते हैं।

 

लेकिन अधिकारी रिवर्स ऑक्शन में ऐसे कुछ बिंदु और मानकों को दर्शातें है जिससे बाहरी कंपनी और ठेकेदारों को फायदा मिलता है, क्योंकि स्थानीय कंपनी और ठेकेदार उन मानकों को पूरा नहीं कर पाते। यह जानबूझकर इसलिए किया जाता है कि निजी स्वार्थ की पूर्ति हो और चेहते कंपनी व ठेकेदार को काम देने में आसानी हो सके। श्री मिश्रा ने चुनौतीपूर्ण लहजे में कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन यहां के पुराने स्थानीय कंपनी और ठेकेदारों को ही काम देने की व्यवस्था सुनिश्चित करें और बाहरी कंपनी व ठेकेदार से काम लेना बंद करे। जब अधिकारियों को यह पता चल चुका है कि बाहरी कंपनी और ठेकेदार बीच में काम छोड़कर भाग जाते हैं और इससे संयंत्र को नुकसान की भरपाई करनी पड़ी है तो फिर ऐसे कंपनी और ठेकेदारों पर मेहरबानी के पीछे निजी स्वार्थ ही नजर आता है।

उन्होंने बताया कि उप मुख्य श्रमायुक्त के आदेश व आईआर विभाग के द्वारा सर्कुलर जारी कर नियम कानून का पालन करने का निर्देश दिया जाता है। इस निर्देश का पालन कुछ ही कंपनी और ठेकेदार करते हैं। ज्यादातर कंपनी और ठेकेदार श्रम कानून और अन्य नियम का खुला उलंघन करते हैं, जिससे कर्मचारियों को उनका मूलभूत अधिकार और सुविधा नहीं मिल पा रहा है।

 

श्री मिश्रा ने कहा भिलाई इस्पात संयंत्र में ऐसे भी कंपनी और ठेकेदार काम कर रहे हैं जो अपना काम करवाने के लिए पांच से दस पेटी ठेकेदार रखते हैं। जिनके पास लेबर लाइसेंस, पीएफ कोड और ईएसआई नहीं है और न ही वे श्रम कानून का पालन करते हैं। उन्होंने संयंत्र प्रबंधन से उम्मीद जताई है कि जिस कंपनी, एजेंसी या ठेकेदार को काम आबंटित किया जाता है वह काम उसी से पूरा कराया जाए। इससे काम भी गुणवत्ता के साथ होगा और कर्मचारियों के शोषण में भी कमी आ सकेगी।

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