छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति 28 सितंबर को मनायेगी शंकर गुहा नियोगी का शहादत दिवस नायर ने कहा भिलाई इस्पात संयंत्र के टुकड़ो-टुकड़ों में निजीकरण पर रोक लगाये
भिलाई। 28 सितंबर को शंकर गुहा नियोगी के शहादत दिवस एवं शहीदे आजम भगत सिंह के जन्मदिवस के समय पर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पूंजीपतियों के फायदे के लिए बने 4 लेबर कोड हम छत्तीसगढ़ में लागू होने नहीं देंगे। तीस साल पहले भिलाई के हजारों मजदूरों ने एक तूफानी आंदोलन खड़ा करके पूंजीपतियों और शासन के दांत खट्टे कर दिए थे, उन्होंने नारा दिया था – स्थाई उद्योग में स्थाई मजदूर। जीने लायक वेतन। श्रम कानूनों को लागू करो। राजसत्ता ने क्रुर दमन से जवाब दिया। कॉमरेड शंकर गुहा नियोगी की हत्या 17 मजदूरों की शहादत सैकड़ों मजदूरों की गिरफ्तारी।
और आज केन्द्र सरकार क्या कर रही है ? पूरी तरह से उल्टी गंगा बहा रही है। स्थाई करना तो दूर, अब वह फिकरड टर्म कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर स्थाई मजदूर को पूरी तरह समाप्त करके सभी मजदूरों को ठेका मजदूर बनाना चाह रही है, यहाँ तक कि फौज में सिपाहियों को भी। उसने राज्य सरकारों द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन से भी कम “फ्लोर वेज” की घोषणा की है जो पूरे देश में लागू होगा. आखिर न्यूनतम से क्या कम हो सकता है ? उसकी परिभाषा ही यह है कि एक मजदूर परिवार के न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक राशि।
हर मजदूर जानता है कि संगठन ही जनता की शक्ति का आधार है, पर केन्द्र सरकार अब यूनियन बनाने की प्रक्रिया को भी बहुत कठिन बना रही है। और श्रम कानूनों को लागू करना तो छोड़ो, वह 100 सालों की लड़ाई से मजदूरों द्वारा पाए गए अधिकारों को जो 46 श्रम कानूनों में दर्ज है, उन सभी कानूनों को रद्द करके 4 नए लेबर कोड ला रही है। हालांकि “श्रम” का विषय राज्य सरकार के अंतर्गत आता है, फिर भी अडानी-अंबानी प्रेमी केन्द्र सरकार ने हाल में 23 अगस्त को सारे राज्यों के श्रम मंत्रियों और श्रम सचिवों को आंध्र प्रदेश के तिरूपति शहर में बुलाकर उन्हें ये 4 कोड लागू करने के लिए जबरदस्ती दबाव दिया है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री, श्रम सचिव यह मत भूलिए की छत्तीसगढ़ की 2.94 करोड़ जनता में से 1.7 करोड़ से अधिक मजदूर है। यह कॉमरेड शंकर गुहा नियोगी के शहादत की धरती है, बिना मजदूर संगठनों से चर्चा किये, आप उल्टी गंगा बहाने वाले, मजदूरों के संघर्ष का मजाक उड़ाने वाले इन 4 लेबर कोडों को लागू नहीं कर सकते, इसके लिए हम सभी मजदूर संगठन आपके खिलाफ एक होकर लड़ेंगे।
सफाई कर्मियों ने देश भर में बहुत संघर्ष करके, अपने लिए नगरीय निकायों में निमयित काम, रहने की कॉलोनियां, बच्चों के वजीफे आदि बहुत से अधिकार प्राप्त किये थे, चूँकि उनका आर्थिक शोषण ही नहीं उनके साथ निरंतर सामाजित भेदभाव भी होता था, अपने लिए राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने कमीशन गठित करवाया था पर छत्तीसगढ़ की पिछली भाजपा सरकार ने सफाई कर्मियों को डाईंग कैडर घोषित कर सारे निमयित पोस्ट छीन कर उन्हें न केवल ठेकेदारी मजदूर बना दिया, बल्कि आज उन्हें समय पर वेतन, ई.एस.आई. और पी.एफ. से भी वंचित रहना पड़ता है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के टुकड़ो-टुकड़ों में निजीकरण पर रोक लगाओ और दूसरी ओर भिलाई के नाम पर आदिवासियों के ग्राम सभाओं को रौंदकर रावघाट परियोजना बुल्डोज करना बंद करो। भिलाई स्टील प्लांट का टुकड़ो-टुकड़ो में निजीकरण किया जा रहा है, स्थाई मजदूरों को संख्या साल दर साल घटती जा रही है, वहीं ठेकेदारी मजदूरों को संख्या बढ़ रही है, जो उनके एक तिहाई वेतन में, सबसे खतरनाक कामों में आये दिन दुर्घटना ग्रस्त हो रहे हैं, उन्हें यूनियन के चुनाव में भाग लेना का भी अधिकार नहीं है,
आज एक परमानेंट मजदूर अपने बेटे के प्लांट में नियुक्त होने की आशा नहीं कर सकता, एक रिटायर्ड मजदूर, वर्षों की मेहनत के बाद, अपने लीज लिए घर में नहीं रह सकता, दूसरी ओर, पब्लिक सेक्टर का हवाला दे देकर, शासन आदिवासों गांवों में ग्राम सभाओं के प्रस्तावों को रौंदकर, उनकी सहमत के बिना, रावघाट परियोजना को थोपने पर आमादा है, जिस “टेम्पल ऑफ मॉडर्न इंडिया” का उद्घाटन करने जवाहर लाल नेहरू आये थे, क्या आज उसमें वर्तमान कांग्रेस सरकार मजदूरों-आदिवासियों की बलि चढ़ाएगी? जब तक समुचित व्यवस्थापन न हो,
कोई भी बस्ती नहीं हटेगी, बस्तियां उजाडऩा बंद करो। अभनपुर चंडी कोल्ड स्टोरेज से निकाली गयी महिला श्रमिकों को बहाल करो। महिलाओं को काम पर, सड़क पर और घर में सभी जगह यौन हिंसा से मुक्ति चाहिये। एक तरफ मजदूर महिलाओं और पुरुषों को न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जाया, दूरसी तरफ उनके बस्तियों पर हर हमेशा बुलडोजर का साया मंडराता है आए दिन बस्तियों को नोटिस दिया जाता है और बस्तीवासी खासकर महिलाएं, कमर कसकर तोडू दलों के सामने खड़ी हो जाती घर में,
हिंसा और बेइज्जती का सामना करना हैं, आज भी महिलाओं को पुरूषों के बराबर वेतन नहीं मिलता, उन्हें कार्यस्थल पर, सड़क पर, पड़ता है, जब तक मजदूर वर्ग अपनी आधी शक्ति-महिला शक्ति को बराबर का स्थान देकर उसे अपनी लड़ाई का हिस्सा नहीं बनाता, तो आगे आने वाली चुनौतियों में सफल होना असंभव है, आज अभनपुर चंडी में कोल्ड स्टोरेज की महिला मजदूर जो छटनी के खिलाफ संघर्ष से डटी हैं, हमारे लिए ये मिसाल है।