Uncategorized

ईक-ईक दाना जोड़कर पक्षी अपना और अपने बच्चों का पेट भरती ••••••••पशु-पक्षियों के प्रति आस्था रखने वाली एक सदगुणी महिला 

*पशु-पक्षियों को भोजन और पानी देने से जीवन में आने वाली समस्याओं का शीघ्रातिशीघ्र समाधान हो जाता हैं : श्रीमति शांता गुप्ता।*

पशु , पक्षी और धरती पर विचरण करने वाले जीव जंतु मानव जीवन को उत्तरोत्तर भवसागर में पार लगाने के लिए अहम योगदान देते हैं । इस संसार में सभी एक-दुसरे से माया के बंधन में बंधे हुए हैं । मानव की तरह पशु-पक्षियों की भी अपनी एक दुनिया हैं । पशु-पक्षियों को अपने हाथों से बनाए हुए भोजन परोसने और दाना डालने से उनको भोजन की आपूर्ति हो जाती हैं और अप्रत्यक्ष रूप से उनकी दुआएं जीवन को सार्थक बनाती हैं । मेरे घर में बारहों मास और विशेष रूप से पितृपक्ष में पशु-पक्षियों यथा – गौमाता, पक्षियों में कौआ, कबूतर, तोता मैना और श्वान की सेवा करती हूं और उन्हें दाना पानी देती हूं । पक्षियों को छत पर आते देखकर मेरी नातिन नव्या और दिव्या केशरवानी उत्साह से भर जाती हैं । विभिन्न पक्षियों को एक साथ देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता हैं । यह कहना हैं सामाजिक कार्यकर्ता एवं महादेवी महिला साहित्य समिति एवं लायनेस क्लब चांपा की सक्रिय सदस्या श्रीमति शांता गुप्ता बहनजी का ।
मौसम कोई भी हो श्रीमति शांता गुप्ता को पशु-पक्षियों से विशेष प्रेम हैं । भीषण गर्मी में जहां प्यासे पशु-पक्षियों एवं बेजुबान जानवरों का प्यास बुझती हैं वही घर के छत पर पानी के साथ-साथ उनके लिए भोजन का भी प्रबंध करती हैं । इस संबंध में सबका संदेश न्यूज़ से चर्चा करती हुई श्रीमति शांता गुप्ता ने बताया कि आदरणीयश्री प्रदीप पांडेय जी व शशिभूषण सोनी भैय्या जी हमारे घर में बारहों मास शाम पांच बजें तक तीस-चालीस कौआ रोज़ सुबह 06 बजें से आकर खाना खाकर , पानी खाकर जाते हैं । उनके लिए मेरे पति अधिवक्ता महेन्द्र गुप्ता जी बारीक से बारीक सेव , नमकीन लाते हैं , जो कौओं को अति प्रिय हैं साथ ही खाना खाते हैं । पक्षियों को नमकीन चीजें अत्यंत प्रिय हैं कौओं के साथ ही गिलहरी, कोयल, कबूतर , तोता , गौरैया, सभी एक साथ खाना खाते हैं। हमारे आंगन में पीछे बन्दर भी आते हैं , जो दूध-रोटी बहुत ही प्रेम से खाते हैं और दूध भी बहुत अच्छे से पीते हैं , सभी कौवे मेरे आवाज़ को भलीभांति पहचानते हैं । उन्होंने प्रफुल्लित मन से बताया केवल कटोरी बजानें से ही दूर से सभी पक्षी एक साथ आ टपकते हैं । सच सभी पक्षियों को खाते देखकर मन को इतनी ख़ुशी मिलती हैं कि मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती ? ये सारे अच्छे काम मेरी दिव्या बिटियां यानि कि बेटू भी प्रेम से करती हैं । रेलवे स्टेशन रोड स्थित घर के सामने गौमाता, और छत पर पक्षियों की सेवा का अवसर मिला हैं । ईश्वर को धन्यवाद देती हूं मुझे सेवा का अवसर देने के लिए । प्रगतिशील स्वर्ण एवं रजत समिति चांपा के सचिव एवं अक्षर साहित्य परिषद के ऊर्जावान उपाध्यक्ष शशिभूषण सोनी ने बताया कि श्रीमती शांता गुप्ता सदगुणी और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला हैं । पूर्व जन्मों का सुफल हैं कि बारह मास और विशेष रूप से पितृपक्ष में साक्षात् परब्रह्म यमराज रुपी कौए के साथ-साथ गिलहरी , गौरेया, कोयल , कबूतर के दर्शन हो रहे हैं। कौआ यम का प्रतीक हैं । इन्हें शुभ-अशुभ का संकेतक माना जाता हैं । यमलोक में हमारे पितर रहते हैं । पितृपक्ष में पित्तरों का श्राद्ध और तर्पण जरुरी माना जाता हैं । यदि कोई मनुष्य ऐसा नहीं करता हैं तो उसे पित्तरों का श्राप लगता हैं । श्राद्ध करने के बाद ब्राम्हण भोजन या फिर भांजे को जैसे भोजन कराना पड़ता हैं वैसे ही जरुरी कौवे को भोजन कराने का विधान पुराणों में वर्णित हैं । शांता बहनजी कहा तो यहां तक जाता हैं कि कौवे ही हमारे पित्तरों का रुप बदलकर पृथ्वी पर आते हैं । पूर्व पार्षद श्रीमती शशिप्रभा सोनी ने कहा कि श्रीमती शांता बहन और उनकी पोती बेटू बिटिया बड़ी भाग्यशाली हैं । सुबह-सुबह अनेक पक्षियों का दर्शन पितृपक्ष में कर रही हैं। कौआ के साथ गौमाता,श्वान और पक्षियों को अपने हाथों के द्धारा बनाए हुए भोजन परोस रही हैं । पितरों की कृपा उनके उपर बनी रहें और पितृगण हमेशा प्रसन्न होकर देवलोक गमन करे । सबका संदेश न्यूज़ चैनल के कान्हा तिवारी / रवि तंबोली एस-एस समाचार ने कहा कि पक्षियों को दाना और पशुओं को भोजन कराने से मनुष्य को ग्रहों के अनिष्ट फल से मुक्ति मिलता हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती हैं । मुक जीव-जंतुओं को भोजन कराना पुण्यार्थ कार्य हैं।

Related Articles

Back to top button