महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की लंबी आयु, सुख समृद्धि के लिए व्रत रखी

*महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की लंबी आयु, सुख समृद्धि के लिए व्रत रखी ।*
*मड़ेली-छुरा/* छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहारों में से एक कमरछठ (हलषष्ठी) बुधवार को मनाया गया। जो भाद्र पद माह के कृष्ण पक्ष के षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस मौके पर माताओं ने संतान प्राप्ति तथा बच्चों की लंबी उम्र एवं सुख समृद्धि के लिए दिनभर निर्जला उपवास रखा। शाम को लाई, पसहर, महुआ, दूध-दही आदि का भोग लगाकर सगरी की पूजा की गई।
ग्राम मड़ेली में महावीर चौक पर ग्राम प्रमुखों के सहयोग से सार्वजनिक रूप से सगरी बनाया गया । जिसमें ग्राम के सभी मोहल्ले की माताएं बहनें महावीर चौक में एक जगह इकट्ठा हो कर सगरी और मां हलषष्ठी की पूजा अर्चना कर पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, फूल, बेलपत्ती, काशी,खमार, बांटी भौरा सहित अन्य सामग्रियां अर्पित की गई।
ग्राम के बड़े बुजुर्गो ने बताया कि संतान सुख एवं बच्चों की लंबी उम्र के लिए माताओं द्वारा किया जाने वाला यह ऐसा पर्व है जिसे हर जाति और वर्ग के लोग मनाते हैं।
बुधवार को इस पर्व पर माताओं ने सुबह से महुआ पेड़ की डाली का दातून कर, स्नान कर व्रत धारण किया। दोपहर बाद महावीर चौक में सार्वजनिक रूप से बनाई गई सगरी में पानी भरा गया। मान्यता है कि पानी जीवन का प्रतीक है। बेर, पलाश, आदि पेड़ों की टहनियों और काशी के फूलों से सगरी की सजावट की गई। इसके सामने गौरी-गणेश, मिट्टी से बनी हलषष्ठी माता की प्रतिमा और कलश की स्थापना कर पूजा की गई, और मां हलषष्ठी की कथा पढ़ी और सुनी गई। पूजन पश्चात माताएं घर पर बिना हल के जुते हुए अनाज पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी को पकाकर प्रसाद के रूप में भोग लगाकर वितरण कर अपना उपवास तोड़ी गई।
कमरछट में भाजियों का अपना महत्व है।इस व्रत में छः तरह की ऐसी भांजियों का उपयोग किया जाता है। जिसमें हल का उपयोग ना किया हो। जिसमें चरोटा भाजी,खट्टा भाजी,मुनगा भाजी, कुम्हड़ा भाजी,लाल भाजी,चेंच भाजी,चौलाई भाजी शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से ईश्वर निर्मलकर(ग्रामीण अध्यक्ष), माधव निर्मलकर (ग्रा. सचिव), गोवर्धन ठाकुर (ग्रा.सहसचिव), गिरधारी सेन (कोषाध्यक्ष), भावसिंग ध्रुव, रामचरण ठाकुर (बैगा), करण ठाकुर, भंगी ठाकुर, भूषण ठाकुर, तेजराम निर्मलकर, भारत ध्रुव, फगनू ध्रुव, राजूराम ध्रुव, भीखम ठाकुर, गजेन्द्र ठाकुर,धानसिंग, यशवन्त ध्रुव, सेवक,धनेश, जगमोहन, जीवन टाण्डे, तिलक यादव, रामचंद साहू, लखन कोटवार आदि का विशेष योगदान रहा।