पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित युवा सेवा संघ कवर्धा के सदस्यों के द्वारा भव्य देशभक्ति तिरंगा यात्रा का आयोजन

*पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित युवा सेवा संघ कवर्धा के सदस्यों के द्वारा भव्य देशभक्ति तिरंगा यात्रा का आयोजन..
कवर्धा छत्तीसगढ़
पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित युवा सेवा संघ के सदस्यों द्वारा पूरे भारतवर्ष में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूज्य बापूजी का शुभ संकल्प “भारत विश्व गुरु” व देशवासियों में देश प्रेम की भावना जागृत करने के लिए देशभक्ति यात्रा का आयोजन किया जाता है।
इसी कड़ी में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर युवा सेवा संघ कवर्धा के सदस्यों द्वारा 14 अगस्त रविवार को भव्य देशभक्ति वाहन यात्रा का आयोजन कवर्धा नगर में किया गया । इस यात्रा में देश व संस्कृति की रक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान देनेवाले संत-महापुरुषों व शहीदों के श्रीचित्रों, भारतीय संस्कृति की महिमा को प्रकट करती झाँकियाॅं व बैनरों से सुसज्जित वाहन विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा। देशभक्ति व संस्कृति की महानता से ओतप्रोत गीतों को गुनगुनाते हुए युवा सेवा संघ के युवकों की यह यात्रा जहाँ से निकली लोगों को सत्पथ पर चलने की प्रेरणा दे गयी। यात्रा के दौरान देशवासियों को सच्ची आजादी के पथ पर चलानेवाले एवं राष्ट्र व धर्म निष्ठा तथा ईश्वर भक्ति बढ़ानेवाले अनमोल ज्ञान से सम्पन्न सत्साहित्य का भी वितरण किया गया।
पूज्य संत श्री आशारामजी बापू चाहते हैं कि देशवासी विदेशियों का अंधानुकरण करके अपने पूर्वजों-संतों-महापुरुषों द्वारा दिखाये गये महानता के मार्ग को न भूलें। देशवासी बौद्धिक व मानसिक गुलामी के शिकार होकर दीन-हीन न बनें बल्कि अपने देश, धर्म व संस्कृति के ज्ञान-प्रकाश से जीवन को प्रकाशित करें। वे अपनी आत्ममहिमा में जगें और जन्म-मरण के चक्र से छूट जायें।पूज्य बापूजी आगे कहते हैं: “आपका तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न एवं बुद्धि परमात्मा में अचल एवं दृढ़ रहे-यह सच्ची आजादी पाना जरूरी है। हे भारतवासियो! उठो, जागो एवं अपनी असली आजादी की ओर कदम आगे बढ़ाओ।”
स्वतंत्रता दिवस की खुशी तो मनाएं लेकिन देश को तोड़ने वाले षड्यंत्रों से बचें, संयमी और साहसी बनें, बुद्धिमान बनें। अपनी संस्कृति व उसके रक्षक संतों के प्रति श्रद्धा तोड़ने वालों की बातें मानकर अपने देश की जड़ें खोदने का दुर्भाग्य अपने हाथ में न आये। बड़ी कुर्बानी देकर आजादी मिली है। फिर यह आजादी विदेशी ताकतों के हाथ में न चली जाय, इसलिए हमें सचेत रहना है ।
आज कॉन्वेंट स्कूल, मीडिया, टीवी, इंटरनेट आदि के माध्यम से पाश्चात्य संस्कृति परोसकर हमारे देशवासियों को कमजोर कर रहे हैं। दूसरा, अंग्रेजों के बनाये कानून आज भी लागू है जिनसे अपराधी तो छूट जाते हैं लेकिन निर्दोष को सजा हो जाती है । अतः न्याय व्यवस्था को भारतीय संस्कृति के अनुसार बदलना होगा ताकि एक आम आदमी को भी सही न्याय मिल सके ।
विदेशी लोग अपनी पाश्चात्य संस्कृति से परेशान होकर हमारी संस्कृति व भाषा अपना रहे हैं।
हमें भी अपनी वैदिक संस्कृति, अपने देश की जलवायु और रीति-रिवाजों के अनुसार स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक जीवन और आत्मिक उन्नति करानेवाली भारत की महान संस्कृति का आदर करना चाहिये और लाभ लेना चाहिए। अंग्रेजी कल्चर का दिखावटी जीवन भीतर से खोखला कर देता है। उनकी संस्कृति अपनाकर हमें परतंत्र नहीं बनना चाहिए, बल्कि अपनी महान भारतीय वैदिक संकृति अपनाकर स्वतंत्र बनना चाहिए।
समाज की आध्यात्मिक उन्नति और उसके सर्वांगीण विकास के लिए संत श्री आशारामबापूजी ने पिछले पांच दशकों से अथक प्रयास किए हैं तथा विभिन्न प्रकल्प चलाये हैं और इनके संचालन के लिए कई विभागों की स्थापना की है। इन्हीं विभागों में से एक है ‘युवा सेवा संघ। आज जबकि देश के कई युवा अपने आदर्शों और संस्कारों से च्युत होकर, व्यसनों और कई प्रकार की बुराइयों के शिकार होकर परिवार, समाज व देश के लिए भाररूप बन रहे हैं। ऐसे में पूज्य बापूजी के मार्गदर्शन में संचालित युवा सेवा संघ से जुड़कर देश के हजारों-हजारों युवा सत्पथ पर अग्रसर हो रहे हैं और पूज्य बापूजी की प्रेरणा से चल रहे समाजोत्थान के विभिन्न सेवाकार्यों जैसे- व्यसनमुक्ति अभियान, पर्यावरण सुरक्षा अभियान, मातृ-पितृ पूजन व तुलसी पूजन दिवस, युवाधन सुरक्षा अभियान, गौसेवा, गरीबों में भंडारे, प्राकृतिक आपदाओं में मदद, आदि कार्यक्रम से जुड़कर अपना व समाज का जीवन उन्नत कर रहे हैं। पूज्य बापूजी ने देश व समाज की भलाई के लिए अपना पूरा जीवन लगाया है। लेकिन जिन असामाजिक तत्त्वों से समाज की उन्नति नहीं देखी जाती उन्होंने षड्यंत्र के तहत बापूजी को जेल भिजवाया है। पूज्य बापूजी निर्दोष हैं, उन्हें शीघ्रातिशीघ्र रिहा किया जाना चाहिए।