छत्तीसगढ़

भू-माफिया गैंग बनाकर राजनांदगांव के पत्रकारों ने हड़पी राजगामी की 10 एकड़ जमीन

भू-माफिया गैंग बनाकर राजनांदगांव के पत्रकारों ने हड़पी राजगामी की 10 एकड़ जमीन
राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राजगामी संपदा राजनांदगांव की 10 एकड़ भूमि को पत्रकार आवास हेतु आबंटित किया गया है लेकिन राजनांदगांव के तथाकथित पत्रकारों ने भू-माफिया गैंग बनाकर पत्रकारों के नाम से शासन के द्वारा प्रदाय की गई जमीन को परिवारवाद + कर्मचारीवाद + रिश्तेदारों के बीच आपस में चने-मुर्रे की तरह बांटकर सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 10 एकड़ जमीन को कुछ लोगों के बीच बांटकर प्रत्येक व्यक्ति 1980 वर्गफीट के हिसाब से एक अखबार + एक परिवार को आठ हजार से दस हजार वर्गफीट जमीन को अपने-अपने नाम करा लिया और शासन, प्रशासन के नुमाइंदे इनकी जी हुजूरी करते रहे। क्या भू-माफिया गैंग पत्रकारों में शासन का पूरा का पूरा योगदान ऑख मूंदकर रहा आखिर क्यों?
राजनांदगांव के कुछ दैनिक समाचार पत्रों के संपादकगणों व मुखियागणों ने अपनी-अपनी जरूरत व सहूलियत के साथ-साथ अपने-अपने परिवार तथा स्वयं के संस्था में कार्यरत कर्मचारियों का बखूबी ध्यान रखा और भू-माफिया पत्रकार गैंग के रूप में कार्य को अंजाम देने आज से कई वर्ष पूर्व अपै्रल 1999 के वर्ष में संस्था का पंजीयन कराकर उक्त कार्य को अंजाम देते हुए वर्तमान में संस्था के विशेष लोगों के सानिध्य में रचा गया। पत्रकार आवास हेतु उपलब्ध जमीन को कैसे और क्यों अधिक से अधिक प्लाटों को पृथक-पृथक रूप में 1980 वर्गफीट के हिसाब से अपने-अपने कब्जे में लिया जा सकता है?
आईये हम आपको हम आपको परत दर परत रची गई साजिशें एक षडय़ंत्रकारी अंजाम तक पहुंचा और संस्कारधानी की गरिमा को तार-तार करते पत्रकारों की इस अमर कहानी को पत्रकारों की जुबानी कलम से रची गई भू-माफिया गैंग पत्रकारों की कहानी पढिय़े सिलसिलेवार? हम आपको उक्त संस्था के पंजीयन से लेकर सरकारी जमीन हड़पने की पत्रकारों की साजिश का पर्दाफाश करने जा रहे हैं।

भू-माफिया गैंग राजनांदगांव के पत्रकारों द्वारा दस एकड़ जमीन को हड़पने की प्रक्रिया निम्नानुसार की गई है।
1. परिवारवाद के तहत एक ही परिवार से चार से पांच लोगों को प्रत्येक व्यक्ति को 1980 वर्गफीट जमीन पृथक-पृथक आबंटित किया गया। याने एक पत्रकार परिवार को लगभग दस हजार वर्गफीट जमीन आबंटित किया गया।
2. एक ही समाचार पत्र में कार्यरत कर्मचारियों को संख्या के हिसाब से लगभग आठ से दस व्यक्तियों को प्रत्येक को 1980 वर्गफीट जमीन पृथक-पृथक रूप से आबंटित किया गया है। याने एक ही संस्था को बीस हजार वर्गफीट की जमीन आबंटित किया गया है।
3. आबंटित जमीन में परिवारवाद के अनुसार पति+पत्नी+बच्चे+नौकरचाकर सबको पृथक-पृथक 1980 वर्गफीट जमीन आबंटित किया गया है।
4. राजनांदगांव जनसंपर्क कार्यालय की सूची में 35 से 40 पत्रकारों के नाम दर्ज नहीं है। फिर भी सबको पृथक-पृथक 1980 वर्गफीट के हिसाब से अस्सी हजार वर्गफीट जमीन को अपने लोगों को लाभ पहुंचाने आबंटित किया गया।
5. दैनिक समाचार पत्र राजनांदगांव के प्रेस संस्थानों में कार्यरत वेतन भोगी कर्मचारियों की संख्या लगभग चालीस के आसपास ऐसे लोगों को भी पृथक-पृथक 1980 वर्गफीट के हिसाब से अस्सी हजार वर्गफीट आबंटित किया गया है।
6. परिवारवाद + प्रेस कार्यालयों के संस्थाओं के चलते लगभग 80 प्लाटों का बंदरबाँट किया गया है। प्रत्येक को 1980 वर्गफीट के हिसाब से।
7. जिनके पास स्वयं का पक्का मकान एवं सरकारी जमीन प्रेस भवन हेतु उपलब्ध हैं व बेहिसाब संपत्ति के मालिक हैं उन्हें भी पत्रकारों की जमीन प्रत्येक को 1980 वर्गफीट के हिसाब से आबंटित किया गया।
8. परिवारवाद + कर्मचारीवाद से जमीन हड़पने का मन नहीं भरा तो भू-माफिया पत्रकार गैंग भाई + भाई को पृथक पृथक जमीन आबंटित किया गया।
9. रिश्तों के मद्देनजर देखा जाए तो उक्त जमीन आबंटन में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाने वाले रिश्तेदार इस प्रकार है। पति + पत्नी + बच्चे + चाचा + भतीजा + भाई + भाई आदि कई नवीनतम पद सृजित किए गए।
10. भू-माफिया पत्रकारगणों ने अन्य संस्था प्रमुखों को एक-एक प्लाट स्वयं को जो संस्था प्रमुखों को शांत करने के लिए दे दिया जो पूर्व में उक्त संस्था के कार्यशैली एवं नियमावली को लेकर जमकर विरोध कर अपना स्वर क्रांतिकारियों के रूप में सच और झूठ को लेकर अपनी आवाज अपनी संस्था के माध्यम से बुलंद किए थे उक्त संस्था प्रमुख व्यक्तियों को जमीन आबंटन में स्थान प्राप्त होने के बाद जो जमीन आबंटित संस्था से अलग हटकर अपनी संस्था चला रहे हैं।
11. पात्र-अपात्र के लिए कोई नियम – कानून लागू नहीं किए गए। केवल अपनी डपली – अपना राग वाली कहावत अनुसार दस एकड़ राजगामी की जमीन को कुछ लोगों के बीच आबंटित कर सत्यानाश कर डाला। आबंटित संस्था में शासन-प्रशासन के लोग अंधे और बहरे बनकर पूरा तमाशा देखते हुए चंद पत्रकारों की कठपुतली बनकर उक्त कार्य को अंजाम दिए।
-: विनीत – आवास से वंचित समस्त पत्रकारगण :-
दिनेश नामदेव मो.83199+58839, यमुना प्रसाद गुप्ता मो.78282+19809, सुशील कुमार तिवारी मो.94791+26826, असद कुरैशी 88393+11503, राधेश्याम साहू मो.93012+61444, तुलसी गौतम मो.98262+87434, मन्नूलाल सोनी, शेखर यादव मो.99079+79345, तुलाराम नंदनवार मो.99079+21772, शमशाद बानो मो.79994+23823, तरूण पटेल मो.88395+56812, मनीष दयाल मो.99818+63798, राजू सोनी मो.95890+39892, आभा श्रीवास्तव मो.91797+97984, हमीदा कुरैशी मो.74893+38805, भोजेश साहू मो.96857+99441, किरण सुलेमान मो.97520+79097, रेखा सावरकर मो.72230+86771, देवेन्द्र मोहन लाला देबू मो.93033+53123, नारायणदास वैष्णव, अजय कुमार सोनी मो.81200+78545, जय.एस सिंह मो.79740+50080, रामलाल साहू 99773+27913, रोमेश रंगारी मो.93002+16546, लीना पटेरिया 91795+67362, प्रकाश ठाकुर आदि।

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