प्रतिबंध के बाद भी जिले में खुलेआम चल रहा जर्दा गुटखे का व्यापार

दुर्ग । छत्तीसगढ़ में जर्दा गुटखे पर पूर्ण प्रतिबंध है। बावजूद इसके प्रदेश के सभी जिलों में पान मसाला जर्दा गुटखे की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। कोई रोकने टोकने वाला नहीं है । संबंधित विभाग को तो जैसे गुटखा माफियाओं ने नींद की गोली दे रही है, शायद इसलिए उनकी कुंभकर्णी नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है |
प्रदेश सरकार ने भले ही तम्बाकू युक्त गुटखे के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन जिले में जर्दा गुटखा धड़ल्ले से बिक रहा हैं और वह भी दोगुने-तिगुने दामों पर । शहर में बड़ी मात्रा में जर्दा गुटखा खपाया जा रहा है । किराना दुकान की आड़ में जर्दायुक्त गुटखा का अवैध कारोबार सालों से चल रहा है । बताया जा रहा है कि जिले में जर्दा गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियां भी संचालित हैं, जहां से रात के अँधेरे में जर्दा गुटखा सप्लाई किया जाता है । जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक खुलेआम जर्दायुक्त गुटखा की सप्लाई हो रही है । 18 नंबर रोड और सुपेला में एक दर्जन गुटखा उत्पादों की थोक और फुटकर बिक्री छोटी-बड़ी दुकानों से सरेआम हो रही है । इनमें ऐसे उत्पाद भी हैं जिनमें पंजीयन तिथि और संख्या का उल्लेख नहीं है। साथ ही वैधानिक चेतावनी तम्बाकू जानलेवा है तक अंकित नहीं है । चोरी छिपे थोक व्यापारी खरीदते हैं और ऊंचे दामों में फुटकर दुकानदारों को उपलब्ध कराते हैं । गुटका खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस की आशंका बढ़ जाती है इसमें व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है, यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग है इसके अलावा गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट एसोफैगस मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं । लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है ।
नशे की वजह से बर्बाद हो रही युवा पीढ़ी आज नशे की वजह से सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी और बच्चे बर्बाद हो रहे हैं। तंबाकू की वजह से जहां एक और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आने वाली पीढ़ी भी इससे प्रभावित हो रही है। कानून का पालन न होने के कारण अवैध कारोबार चल रहा है। कर्मचारियों की कमी, ट्रेनिंग का अभाव और भ्रष्टाचार है। यही वजह है कि कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घोषणा की थी कि प्रदेश में गांजे की एक पत्ती भी आयेगी तो पुलिस विभाग के अधिकारी जिम्मेदार होंगे पर नशे के सौदागरों में इसका कोई खौफ नहीं है । गांजे की पुडिय़ा गली-गली, घर-घर बिक रही है । शराब, गांजा और अफीम, चरस तक उपलब्ध कराई जा रही है । नाईट पार्टियों के नाम पर शहर में होटलों और कैफे में नशे का विक्रय हो रहा है इन सबको रोकने में प्रशासन असफल रहा है ।
कोटपा एक्ट के तहत नहीं हो रही कार्रवाई 18 मई 2003 को केंद्र सरकार द्वारा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा एक्ट) लागू किया गया है। अधिनियम के तहत विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनिमय पर स्पष्ट प्रावधान है। अधिनियम में सिगरेट, जर्दायुक्त गुटका, सुंघकर नशा करने वाले पदार्थ आदि सभी का उल्लेख है। जिसके विक्रय के लिए आवश्यक नियम, अधिनियम में उल्लेखित है। एक्ट में नाबालिगों को तंबाकूयुक्त पदार्थ देना दंडनीय है। जिस पर जुर्माने का प्रावधान है।