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*देवकर नगर में चातुर्मास में हो रहे है तप तपस्या जोरों से*

*श्री हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा, के सानिध्य में हो रहे कई कार्यक्रम*

*देवकर* *नगर देवकर जहां इस साल 2022 चातुर्मास जैन श्री संध को प्राप्त हुआ है आचार्य श्री 1008 श्री राम लाल जी म, सा, जी के आसीम आशीर्वाद से उनके आज्ञानुवर्तीय शासन दीपक श्री हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा,का सानिध्य प्राप्त हुआ है इन सन्तों की मार्गदर्शन में देवकर जैन समाज के सदस्य, युवा वर्ग, महिला मण्डल,बालक बालीका मण्डल ने कई प्रकार की तप तपस्या त्याग धर्म अराधना कर रहे हैं जिसमें मुख्य रूप से, उपवास,ईकासना, आंयबिल,संवर, प्रतिक्रमण,समाईक, आदि और भी तपस्या बड़े उत्साह के साथ चल रहे हैं।

*विगत शनिवार 30 जुलाई सन्तों की आव्हान पर 21 संवर, पुरुषों ने किया, रविवार 31 जुलाई को 100 लोगों ने पांच, पांच समाईक किया, इसके पूर्व एक साथ 130 ईकासना,21 लोगों ने सामुहिक तेला, तथा 21 लोगों ने शील व्रत तप धारण किया है, नगर में आंयबिल,और ईकासना,तप की लड़ी चल रही है तथा उपवास व्रत करने वालों की लाईन लगी है मुख्य रूप से उपवास करने वालों में देवकर नगर की दो प्रतिभावान युवा रत्न जिनकी तपस्या मासखमन की ओर अग्रसर है आज रविवार 31जुलाई को वे जिन्होंने 21,21 की उपवास व्रत धारण किया वे है आदि बोरा,और रौनक बोरा ये दोनों युवा रत्न पूर्व में भी मासखमन कर चूके हैं इसके अलावा उपवास व्रत धारण करने वाले में स्नेहा बोरा,11 दिनों की, संजना बड़ेर 6 दिन,बाबू लाल सिधंवी 2 दिन,का पच्चखान लिए इसके पूर्व सरिता रीढ़ 8, खुशी सालेचा 5, नेहा बडेर 9, वैभव बोरा 9, मोनिका बोरा 4, दिनों की उपवास व्रत कर चूकी है।

*श्री हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा,ने रौनक बोरा एवं आदि बोरा की 30 दिनों की उपवास पूर्ण होने पर 7,8,9, अगस्त को तीन दिनों की एक कार्यक्रम रखा है जिसमें 7अगस्त को सामुहिक संवर दिवस,8अगस्त,को सामुहिक प्रतिक्रमण दिवस,एवं 9 अगस्त को सामुहिक उपवास दिवस के रूप में मनाया जायेगा ।

*जैन भवन हाल में चल रहे सन्तों की प्रवचन में श्री हेमन्त मुनि जी म, सा, एवं सौरभ मुनि जी म, सा, ने कहा कि–विकारो का मुख्य कारण आंख है संयमित आंखें होनी चाहिए चातुर्मास चार स्तंभों पर टिका है दान,शील,तप, भावना, गुरु महाराज हमारे शरीर का नहीं आत्मा का ध्यान रखते हैं,जब तक हमारे अन्दर जियाज्ञा नहीं जागेगी हम अपने ज़िन्दगी की रहस्य को नहीं समझ सकते,हम शिकायतों के पिटारे है जियाज्ञा के नहीं, जैन सन्तों ने कहा कि, दुनिया का सबसे सवश्रेष्ट मार्ग हैतो वह है संयम का ,आज युवाओं का सोच धर्म बुढ़ापे का औषधि है पर वास्तव में धर्म युवा होने की औषधि है, जैन दर्शन छोटे से छोटे जीवों को अपने जैसा समझता है सन्त इन्द्रीय विजयी है ये कषायो से लड़ते हैं।

*सुख का भोग सब मिलकर खाते है पर कर्म का भोग तो स्वयं को भूगतना पड़ता है इस संसार में व्यक्ति दुखी क्यों होता है दुख का एकमात्र कारण है मोह,आप अपनी जिंदगी का सही उपयोग कर लिया तो आप दुनिया के लिए उपयोगी हो जायेंगे।

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