गुरु पूर्णिमा पर हुआ संस्कार साहित्य मंच छ. ग. का गूगल मीट पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन*
*गुरु पूर्णिमा पर हुआ संस्कार साहित्य मंच छ. ग. का गूगल मीट पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन*
“गुरु बिन मिलता है नहीं, कभी किसी को ज्ञान |”
“किया नेक उपकार है, गुरु का कर सम्मान ||”
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर संस्कार साहित्य मंच का गूगल मीट पर भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम की शुरुआत माँ भगवती की पूजन -वंदन से किया गया | आ. परशुराम चौहान ने अपने मधुरिम स्वर में माँ वीणापाणी की सुंदर वंदना प्रस्तुत किये –
हे माँ शारदे उतारें हम तेरी आरती
हृदय कमल विराजो हे सुर भारती….
और सृजन देव गणपति को समर्पित यह ग़ज़ल सुनाये –
सकल काज गणपति सफल कीजिए अब
सकल सृष्टि को नित विमल कीजिए अब…
हास्य व्यंग के कवि मानकदास मानिकपुरी छत्तीसगढ़िया ने गुरु वंदना करते हुए तेल की गुणवत्ता में कमी पर करारा जवाब देते हुए कहा –
सबसे मँहगी हुई तेल
लेकिन गुणवत्ता हो गई फेल…
आ. सुकमोती चौहान रुचि ने अपने गुरुजनों का स्मरण करते हुए गुरु शब्द की महत्ता और महिमा का गुणगान करते हुए कहा –
शिक्षार्थी है रिक्त, भरा गागर गुरु होता |
पाये जो सानिध्य, लगे भाग्योदय गोता ||
गुरु है आदरणीय, कीजिए सदैव आदर |
कच्ची मिट्टी खंड, बनाया जिसने गागर ||
मंच के युवा कवि श्री प्रेमचंद्र साव ने गुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहा –
ईश्वर कह लो पारस कह लो,या कह लो कुम्हार।
गुरुवर से ही श्रेष्ठ बना है,शिष्यों का संसार।।
शिष्यों के उर अंतस को जब,गुरुवर मन से गढ़ता है।
पुण्य ज्ञान के उच्च शिखर पर,शिष्य सहज ही चढ़ता है।।
उभरते हुए कलमकार श्री ललित भार जी ने कहा –
हम सबकी जान है हिंदी
हम सबकी अभिमान है हिंदी
लोगों की आवाज है ,
हम सबकी अरमान है हिंदी ।।
इस कार्यक्रम का मनमोहक संचालन आ. शंकरसिंह सिदार रत्नेश ने किया और अपने शेरों शायरी से कार्यक्रम में चार चांद लगाते हुए कहा –
प्रथम गुरु हैं मात-पिता ,
दूजा है परिवार |
वह सदगुरू महान जो,
देते ज्ञान अपार ||
संस्कार साहित्य मंच के वर्तमान अध्यक्षा श्रीमती सुकमोती चौहान रुचि के आशीर्वचन और आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ |